मथुरा/वृंदावन: ब्रज के मंदिरों में होली की धूम, फाग का रसिया और समाज गायन में झूम रहे भक्‍त

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सेवायतों के अनुसार राधावल्लभ मंदिर में समाज गायन की प्राचीन परंपरा है। नगर के विभिन्न देवालयों में समाज गायन की यह परंपरा आज भी जीवंत है। इस पद्धति का प्रचार गोस्वामी हित हरिवंश, श्रीहरिराम व्यास और स्वामी श्रीहरिदास जी की उपासना स्वरूप दृष्टिगोचर होता है। मनमोहन गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में उत्सवों के अनुरूप फूल रचना, चंदन के पद, वन विहार, खिचड़ी, नौका जल विहार, वसंत, रथयात्रा, होली, दिवाली आदि के पदों का गायन विभिन्न राग और तालों से करते हैं। हरित्रयी या रसिकत्रयी की यह उपासना पद्धति ब्रज संस्कृति की बहुमूल्य निधि है।

फागुन के महीने में होली के पदों का गायन अनवरत रूप से मंदिर में हो रहा है। मंदिर में ठाकुरजी को होरी के पदों को सुनाकर सेवायत आराध्य को होली खेलने का आह्वान कर रहे हैं। राधाबल्लभ मंदिर में होली की मस्ती भी सिर चढ़कर बोलती है। जब चांदी की पिचकारी से ठाकुरजी का प्रसादी रंग श्रद्धालु के तन पर पड़ता है तो वह उस रंग में सराबोर होने की उम्मीद पाल लेता है और सुध बुध खो बैठता है। मंदिर में यूं तो होली की शुरुआत वसंत पंचमी के दिन से ही हो गई। तिन समाज गायन में होली के पदों का गायन सेवायत समाजी कर रहे हैं। लेकिन होली का अल्हड़पन रंगभरनी एकादशी पर मंदिर से निकले वाली शोभायात्रा के साथ शुरू होगा। जबकि हाथी पर बैठ भगवान श्रीराधाकृष्ण के स्वरूप भक्तों पर अबीर-गुलाल उड़ाते हुए पूरे शहर में भ्रमण करेंगे।

राधा मोहन खेलत फाग।

रंग गुलाल बसन तन सनि रहे, हिय सनि रहे नकल अनुराग।

सखिनु समाज चहूं दिशि राजत, मनु फूल्यौ शोभा कौ वास।

वृंदावन हित रूप रस छके, मदन-केलि नित रहे उर लाग।। 

लत वसंत राधिका दुलहिन दूलहू संग विहारी।

चोबा चंदन अतर अरगजा चरचत प्रीतम प्यारी।।

गाई बजाई सखी हो-हो कहि चोंप बढावत भारी।

गोपीलाल हितरूप प्रेम छकि निर्तत चतुर खिलारी।।

यह रितु आई री वसंत फूल्यौ पिय प्यारी मन भाई।

अली मदन फूलीं चहूं ओरन गावत अतिहि सुहाई।।

खेलत हैं वसंत रस छाके राधा निर्त विहारी।

हो-हो-हो-हो-हो थेइ-थेइ कहि कहि निर्तत दै कर तारी।।
14 मार्च को रंगभरनी एकादशी, बरसेगा रंग

रंगभरनी एकादशी से वृंदावन के हर मंदिर, मठ और आश्रम के साथ घर-घर में होली पर रंगों की बरसात शुरू होगी। राधाबल्लभ मंदिर में भव्य शेभायात्रा में हाथी पर बैठ जब राधाकृष्ण भक्तों पर गुलाल उड़ाएंगे तो पूरा माहौल रंगीन नजर आएगा।

राधाबल्लभ मंदिर में होली का धमाल एकादशी से शुरू होगा। इस दिन ठाकुरजी श्वेत धवल वस्त्रों में भक्तों को दर्शन देंगे। कमर पर फैंटा में गुलाल की पोटली और हाथ में छड़ी लेकर छलिया रूप में आराध्य के दर्शन मनमोहक होंगे। ठाकुरजी का प्रतिनिधित्व करते हुए सेवायत चांदी की पिचकारी से भक्तों पर जब रंग बरसाएंगे तो इस रंग में रंगने को हर कोई उतावला नजर आएगा।

-एजेंसी