आजादी मार्च: इस्‍लामाबाद को सुलगाने के बाद इमरान खान ने खींचे कदम

INTERNATIONAL

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का आजादी मार्च बुधवार देर रात राजधानी इस्लामाबाद पहुंचा। देश में चुनाव कराने की मांग को लेकर आजादी मार्च का ऐलान करने वाले इमरान ने, पाकिस्तान में सुबह लोगों की ठीक से नींद भी नहीं खुली थी कि सरकार को छह दिनों का अल्टीमेटम देकर अपने कदम वापस खींच लिए।

इमरान खान ने इस्लामाबाद के जिन्ना एवेन्यू पर आजादी मार्च में शामिल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ PTI पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और यहां से वह अपने घर बनी गाला के लिए रवाना हो गए। उनके समर्थक अभी भी इस मार्च में हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इमरान खान ने अब अपने कदम पीछे ले लिए हैं।

जिन्ना एवेन्यू पर दिए अपने भाषण में इमरान खान ने सरकार को छह दिनों का अल्टीमेट दिया। उन्होंने मांग की कि छह दिनों के अंदर केंद्रीय असेंबली को भंग किया जाए और नए सिरे से देश में चुनावों के तारीखों की घोषणा की जाए। अगर छह दिनों में चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं होता तो वह पाकिस्तान के अलग-अलग कोने से 30 लाख लोगों के साथ राजधानी इस्लामाबाद में मार्च करेंगे और इस बार वह वापस नहीं जाएंगे। अब सवाल ये उठता है कि आजादी मार्च को जोश के साथ शुरू करने वाले इमरान 24 घंटे में ही ठंडे क्यों पड़ गए?

कहीं सेना का खौफ तो नहीं?

बुधवार को PTI समर्थकों ने इस्लामाबाद में जम कर बवाल काटा, इसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए, जिसके बाद गुरुवार को शहबाज शरीफ सरकार ने सेना को स्थिति कंट्रोल में करने का आदेश दे दिया।

इस्लामाबाद के सभी रेड जोन इलाकों की सुरक्षा सेना को सौंप दी गई है। इसमें इस्लामाबाद का D-चौक भी है, जहां इमरान एक रैली करना चाहते थे। माना जा रहा है कि सेना से सीधी टक्कर न हो जाए इसलिए उन्होंने अपने कदम फिलहाल के लिए पीछे ले लिए हैं। वहीं सरकार के मंत्रियों का कहना है कि इमरान 20 लाख समर्थकों के साथ आने का दावा कर रहे थे लेकिन उनके साथ 50 हजार लोग भी नहीं थे, जिस कारण वह पीछे हुए हैं।

पर्दे के पीछे हो रही बातचीत

पाकिस्तान की पॉलिटिक्स हाथी के दांत की तरह है। दिखाने वाले दांत और खाने वाले दांत अलग-अलग होते हैं। इमरान भले अपने समर्थकों से कुछ भी कहें लेकिन पर्दे के पीछ कहानी कुछ और ही चल रही है। पाकिस्तान की राजनीति में सेना का एक बड़ा दखल रहा है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी PTI और सरकार के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी लेकिन अब कहा जा रहा है कि सेना ने हस्तक्षेप किया है और दोनों के बीच बातचीत करा रही है। पाकिस्तानी पत्रकार कामरान युसूफ ने कहा इमरान का यह कदम बैक चैनल बातचीत का नतीजा है।

एशिया मामलों के जानकार माइकल कुगेलमैन का कहना है, ‘इमरान खान के इस्लामाबाद में नहीं रहने का यह मतलब हो सकता है कि सरकार के साथ कोई बातचीत चल रही हो। संभव है कि सेना के साथ बातचीत हो रही है। छह दिनों में लौटने की धमकी को एक रणनीतिक दवाब बनाने के रूप में देखा जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सरकार किसी भी रियायत से पीछे नहीं हटे।’

पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान के आजादी मार्च के कारण बुधवार से राजधानी इस्लामाबाद जल रही है। पाकिस्तान में गृह युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं।

पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी (PTI) और सरकार के बीच किसी भी तरह का समझौता नहीं हो सका है। गुरुवार को राजधानी में इमरान खान ने एक बड़ी रैली करने का ऐलान किया है, जिसके बाद अब सरकार ने सुरक्षा के लिए सेना को बुला लिया है। संविधान की धारा 245 के तहत पाकिस्तानी सरकार ने राजधानी के रेड जोन इलाकों की सुरक्षा के लिए सेना को बुलाया है।

PTI अध्यक्ष इमरान खान और उनका काफिला राजधानी इस्लामाबाद में पहुंच चुका है। उनका काफिला जैसे ही शहर के डी-चौक की ओर बढ़ने लगा पूरे इस्लामाबाद में स्थिति अनियंत्रित होने लगी। जिसे देखते हुए सरकारी प्रतिष्ठान और कार्यालयों की सुरक्षा के लिए सरकार ने सेना को बुलाया है। इस्लामाबाद में पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक PTI कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए, जिसके बाद सेना बुलाने का फैसला लिया गया है।

रेड जोन में घुसने को लेकर दी गई वार्निंग

इस्लामाबाद पुलिस ने रेड जोन में घुसने को लेकर PTI कार्यकर्ताओं को चेतावनी दी है। पुलिस ने ट्वीट किया, ‘रेड जोन में प्रवेश बर्दाश्त नहीं होगा। सभी प्रदर्शनकारियों और उनके नेताओं से अनुरोध है कि वे अदालत के आदेशों के अनुपालन में उक्त क्षेत्र में प्रवेश करने से परहेज करें।’ हालांकि इस्लामाबाद पुलिस के IG डॉ. अकबर नासिर खान ने बयान जारी कर कहा है कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अकारण कार्रवाई नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि पुलिस बिना हथियारों के है, लेकिन कई प्रदर्शनकारी हथियारों के साथ आए हैं। इसलिए प्रदर्शनकारी शांत रहें ताकि कीमती जानें न जाएं।

-एजेंसियां