अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने पाकिस्तान को एक बार फिर झटका दिया है। बेलआउट पैकेज के लिए आईएमएफ की शरण में पहुंचे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की तरफ से जो सर्कुलर लोन प्लान पेश किया गया था, उसे खारिज कर दिया गया है। आईएमएफ के पास 23 बार मदद के लिए जाने की वजह से पाकिस्तान ने एक नया रेकॉर्ड कायम किया है। इस बार पाकिस्तान के लिए स्थितियां सबसे ज्यादा मुश्किल हैं। पाकिस्तान ने आईएमएफ का कर्ज हासिल करने के लिए अमेरिका की भी मदद लेनी चाही है। चीन से कर्ज तो मिला है लेकिन उस पर ब्याज इतना ज्यादा है कि चुका पाना काफी मुश्किल हो सकता है। भारत से टूटकर बना यह मुल्क अब पूरी तरह से बिखरने की तरफ बढ़ चुका है।
नवंबर से जारी है सस्पेंस
पिछले साल नवंबर से ही पाकिस्तान के आईएमएफ प्रोग्राम को सस्पेंड कर दिया गया है। वित्त मंत्री इशाक डार ने आईएमएफ की उन शर्तों को मानने से इंकार कर दिया था जो कर्ज के लिए जरूरी थीं। डार ने इसके साथ ही बाजार की तरफ से तय एक्सचेंज रेट और वित्तीय घाटा कम करने के उपायों को लागू करने में असमर्थता जाहिर कर दी थी। वर्तमान वित्त वर्ष में पाकिस्तान के बजट में 7.4 खरब रुपए के राजस्व का लक्ष्य रखा गया था। इसमें से 52 फीदी कर्ज चुकाने और 33 फीसदी रक्षा और पेंशन के लिए था। ऐसे में पाकिस्तान के पास बहुत कम विकल्प थे कि वह घाटा कम कर सकता।
सरकार की तरफ से 200 अरब रुपए के अतिरिक्त करों को लागू करने की योजना बनाई जा रही है लेकिन आईएमएफ की मुख्य चिंता वित्तीय घाटा है। यह घाटा कुल जीडीपी के 6.5 फीसदी के आंकड़ें तक पहुंच सकता है। देश में करों से होने वाली आय बहुत कम है और कर्ज आसमान पर पहुंचता जा रहा है। ऐसे में आईएमएफ पाकिस्तान की बात मानते, इस बात की आशंका बहुत कम थी।
बाढ़ ने बढ़ाई मुश्किलें
पाकिस्तान में पिछले साल आई बाढ़ की वजह से अर्थव्यवस्था पर संकट और गहरा गया। इस बाढ़ की वजह से अर्थव्यवस्था को करीब 30 अरब डॉलर का चूना लगा। अंतर्राष्ट्रीय डोनर्स की तरफ से देश को नौ अरब डॉलर देने का ऐलान किया गया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा काफी खतरनाक है और सिर्फ तीन हफ्तों के आयात के लिए ही है। अगर आईएमएफ पाकिस्तान के साथ किसी समझौते पर पहुंच भी जाता है जो भी पैसा मिलने में समय लगेगा।
साल 2019 से है इंतजार
पाकिस्तान ने इस समय 6.5 अरब डॉलर के लिए अनुरोध किया है। आईएमएफ का प्रोग्राम साल 2019 में लॉन्च हुआ था और पिछले साल जून 2023 तक के लिए बढ़ाया गया था। पाकिस्तान को 3.9 अरब डॉलर पहले ही मिल चुके हैं। पाकिस्तान को चीन, सऊदी अरब और यूएई से कुछ वित्तीय मदद मिली है। जमा और क्रेडिट मिलाकर यह मदद 10 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। पिछले महीने पाकिस्तान को यूएई से तीन अरब डॉलर की मदद मिली है और इस वजह से यह कंगाल होने से बच गया। सऊदी अरब ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की मदद दी है। यह रकम एक महीने का तेल आयात पूरा करने के लिए भी काफी नहीं है।
देश में अव्यवस्था का माहौल है। गेंहू संकट से लेकर बिजली और पेट्रोल तक की कमी हो गई है। पाकिस्तान, चीनी के सीपीईसी कॉरिडोर के तहत बिजली का उत्पादन बढ़ाया था लेकिन यह उत्पादन चीनी इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स (IPP) और महंगे विदेशी कर्ज को वापस करने की गारंटी की कीमत पर मिल रहा है। पाकिस्तान अभी तक आईपीपी को कोई पेमेंट नहीं कर पाया है।
चीन का कर्ज जाल
इसकी वजह से बिजली सेक्टर पर कर्ज 8.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। चीन वह देश है जिसने पाकिस्तान को सबसे ज्यादा कर्ज दिया है। चीन का कुल 30 अरब डॉलर का कर्ज पाकिस्तान पर है। यह देश के कुल कर्ज का 30 फीसदी है। पाकिस्तान इस समय चीनी ब्याज दरों और आईएमएफ की मांग के बीच फंसकर रह गया है। अब यह देखना होगा कि पहले मदद के लिए आगे कौन आता है।
Compiled: up18 News
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