साईकिल चलाओगे तो जीवन भर दौड़ोगे, डॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी ने घुटनों व पैरों के रखरखाव पर दिया व्याख्यान

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आगरा। पैरों को जीवन भर बिना दर्द और तकलीफ के चलाना है तो हर रोज कम से कम आधा घंटा साइकिल चलाइये। दर्द से राहत पाने के लिए पेन किलर खाना शरीर के अन्य अंगों के लिए घातक हो सकता है। पेन किलर का साइड इफेक्ट आंख, किडनी या लिवर को रोगी बना देता है। इसलिए पेन का सेवन करने से बचे, जरूरत हो तो डॉक्टर की सलाह पर ही पेन किलर खाएं। शरीर और पैरों को स्वस्थ रखने का सबसे बेहतर तरीका अपनी जीवन शैली में बदलाव, व्यायाम और पौष्टिक आहार से अच्छा उपाय और कुछ नहीं।

सर्वोदय हॉस्पिटल फरीदाबाद के रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सेंटर के डॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी ने आज होटल पीएल पैलेस में कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमें रोबोटिक बाइलेटरल टोटल नी रिप्लेसमेंट की जानकारी दी गई।

असहनीय दर्द से पीड़ित और बिना सहारे के न चल पाने वाली आगरा, कमला नगर निवासी 80 वर्षीय शांति देवी का एक ही बार में दोनों घुटनों का प्रत्यापोरण किया। कार्यशाला में शांति देवी भी मौजूद थीं। 25 जुलाई 2023 को एक्टिव जॉइंट रिप्लेसमेंट रोबोट के ज़रिये घुटनों का रोबोटिक बाइलेटरल टोटल नी रिप्लेसमेंट के बाद अब उन्हें चलने के लिए किसी सहारे की जरूरत नहीं। सर्वोदय हॉस्पिटल फरीदाबाद के रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सेंटर के एच.ओ.डी एवं डायरेक्टर डा. सुजॉय भट्टाचार्जी ने एक्टिव जॉइंट रोबोट सिस्टम का इस्तेमाल किया, जिससे एक ही सिटिंग में दोनों घुटनो की सर्जरी की जा सकती है।

उन्होंने बताया कि सर्जरी की तैयारी में घुटनों का एक नॉन-कंट्रास्ट सीटी स्कैन किया गया और जरुरी बोन-कट और इम्प्लांट साइज पर फैसला किया। यह जानकारी वास्तविक सर्जरी से पहले रोबोट में डाली गई। सर्जरी के दौरान रोबोट द्वारा बड़ी सटीकता के साथ हड्डियों को काटा गया, जिससे गलती की संभावना कम हो गई। इस सर्जरी की खासियत यह थी कि सर्जरी रोबोट के द्वारा किए जाने पर भी डॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी मरीज के घुटने के लिगामेंट (क्रूशिएट्स) को बनाए रखने में कामयाब रहे।

सर्जरी के कुछ ही घंटों बाद शांति देवी को सहारे के साथ चलाना शुरू कर दिया गया और वर्षो से जिस दर्द के साथ वो जी रहीं थी अब दर्द-मुक्त है और बिना किसी समस्या के नियमित कार्य करने में सक्षम है। पारंपरिक तरीके के मुकाबले रोबोट द्वारा की गई सर्जरी के बड़े फायदे हैं। इनमें इम्प्लांट पोजिशनिंग की बेहतर सटीकता, मानवीय त्रुटि या सॉफ्ट-टिशू इंजरी की बहुत कम संभावना, अधिक ऑपरेटिव सटीकता और सर्जरी के बाद कम दर्द एवं रोगी का शीघ्र स्वास्थ्य वापसी शामिल है।

क्या है लिगामेंट

“क्रूशिएट्स” दो क्रॉस-आकार के लिगामेंट होते है जो घुटने के सामने और पीछे की तरफ मौजूद होते हैं और जांघ की हड्डी को पिंडली की हड्डी से जोड़ते हैं। पारंपरिक रोबोट की सहायता से की जाने वाली सर्जरी में दोनो लिगामेंट्स को निकालना पड़ता है, जिसके कारण मरीज़ को कृत्रिम घुटने के बदले जाने जैसी एक अप्राकृतिक भावना के साथ रहना पड़ता है।

क्यों जरूरी है लिगामेंट का बचाए रखना

डॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी, एच.ओ.डी एवं डायरेक्टर, रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सेंटर, सर्वोदय हॉस्पिटल फरीदाबाद का कहना है कि “घुटने के रिप्लेसमेंट में एक या दोनों घुटने के लिगामेंट को संरक्षित करना महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह घुटने को एक प्राकृतिक एहसास देता है और स्थिर करने में मदद करता है। मरीजों को उनके ऑपरेटेड घुटने पूरी तरह से प्राकृतिक लगते हैं, जिससे वे भूल जाते हैं कि वे घुटने के रिप्लेसमेंट के साथ जी रहे हैं। यह एक अवधारणा है जिसे ‘फॉरगॉटन नी’ कहा जाता है। पारंपरिक रोबोटिक सर्जरी से किए गए नी रिप्लेसमेंट के साथ यह संभव नहीं है जो आज-कल मरीजों पर किया जाता है। हम दुनिया के पहले हॉस्पिटल हैं जिसने क्रूशिएट को बनाए रखते हुए टोटल रोबोटिक नी ट्रांसप्लांट करने की क्षमता विकसित की थी।”