मिस्र के शर्म-अल-शेख़ में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में उस ऐतिहासिक समझौते पर सहमति बन गई है, जिसके तहत जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान के लिए ग़रीब देशों को भुगतान किया जाएगा.
दो हफ़्ते की वार्ता के बाद आख़िरकार प्रतिनिधि देश ग़रीब देशों को “नुकसान और क्षति” की भुगतान के लिए एक फंड बनाने को तैयार हुए हैं.
विकसित देश ऐतिहासिक रूप से जलवायु परिवर्तन के लिए प्रमुख तौर पर ज़िम्मेदार रहे हैं,और आने वाले समय में उन्हें इसका भुगतान करना होगा.
इसी डर से अमीर देश अब तक इस फंड के गठन पर चर्चा के आयोजन का विरोध करते रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में पाकिस्तान, नाइजीरिया और अन्य जगहों पर बाढ़ के प्रभावों ने जलवायु संतुलन को बुरी तरह प्रभावित किया है.
वहीं मिस्र में बढ़ते तापमान के कारण होने वाले नुकसान और इससे जुड़े मुद्दे आख़िरकार बातचीत के एजेंडे में शामिल हो गए.
COP27 की बैठक 6 नवंबर से 18 नवंबर तक चलनी थी लेकिन गरीब देशों के फंड को लेकर जारी वार्ता पर चर्चा पूरी करने और निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए इसे बढ़ाया गया.
शिखर सम्मेलन के मेज़बान और COP27 के अध्यक्ष समेह शौकरी ने जैसे ही ग़रीब देशों के लिए इस ऐतिहासिक सौदे की घोषणा की, कमरे में तालियां बजने लगीं.
-एजेंसी
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