इमरान पर दर्ज ईशनिंदा केस को लेकर उनकी पार्टी चिंतित, UN से दखल की मांग

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पाकिस्तान की पूर्व मानवाधिकार मंत्री और तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) की नेता शिरीन मज़ारी ने संयुक्त राष्ट्र से देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ ईशनिंदा के मामले में दख़ल देने की मांग की है. पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार डॉन और एक्सप्रेस ट्रिब्यून इस ख़बर को प्रमुखता से छापा है.

पिछले महीने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ सऊदी अरब के दौरे पर गए थे. इस दौरे में शहबाज़ शरीफ़ और उनके प्रतिनिधिमंडल के ख़िलाफ़ मदीना में नारेबाज़ी हुई थी. नारेबाज़ी का आरोप इमरान ख़ान के समर्थकों पर है.

इस मामले मामले में पाकिस्तान की फ़ैसलाबाद पुलिस ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और उनकी पार्टी पीटीआई के मुख्य नेताओं समेत अन्य 100 लोगों पर ईशनिंदा का मामला दर्ज किया है.

शिरीन मज़ारी ने कहा कि जब से इमरान ख़ान सरकार को ‘योजना के तहत’ सत्ता से हटाया गया है और शहबाज़ शरीफ़ के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता पर काबिज़ हुई है, तभी से पाकिस्तान गंभीर राजनीतिक संकट से जूझ रहा है.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की ख़बर के अनुसार मज़ारी ने कहा कि शहबाज़ शरीफ़ के ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के कई मामले हैं और वह ज़मानत पर बाहर हैं.

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैशलेट को लिखे एक पत्र में मज़ारी ने राना सनाउल्लाह को गृह मंत्री के रूप में नियुक्त करने के सरकार के फ़ैसले पर विरोध जताते हुए उन्हें “आतंकवादी समूहों का सहयोगी” बताया है.

डॉन की ख़बर के अनुसार यह पत्र दो मई को लिखा गया है. मज़ारी ने अपने पत्र में बीते हफ़्तों में पाकिस्तान के राजनीतिक उथल-पुथल का भी ज़िक्र किया है.

उन्होंने सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव, नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर द्वारा प्रस्ताव को अस्वीकार करने और मामले में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप का भी ज़िक्र किया है.

पत्र में यह भी लिखा गया है कि उस वक़्त से पाकिस्तान में इमरान ख़ान की पार्टी की रैलियों में जुट रही भीड़ से जनता का ग़ुस्सा दिखाई देता है, जो इमरान ख़ान के प्रति जनाधार का सूचक है.

-एजेंसियां