अफ्रीका की क्रेउंग जनजाति में बेटियों को लाइफ पार्टनर चुनने के लिए माता-पिता अनोखे तरीके से प्रेरित करते हैं। इसके लिए वे लव हट्स बनाते हैं।
तश्तरी के आकर की कंबोडिया घाटी जिसे चारों ओर से पर्वतों ने घेर रखा है। घाटी में उत्तर से दक्षिण की ओर मीकांग नदी बहती है और पश्चिमी भाग में तांगले नामक एक छिछली और विस्तृत झील है।
पेशे से जियोफिजिसिस्ट रत्नेश पांडे बताते हैं कि आज शत-प्रतिशत बौद्ध धर्म के लोगों की जमीन कंबोडिया में रहती है प्रकृति पूजक क्रेउंग जनजाति जो शायद आधुनिक शहरी समाज से भी कहीं आगे है। यहां तक कि इस जनजाति में माता-पिता अपनी बेटियों पर पाबंदी लगाना तो दूर, सही लाइफ-पार्टनर की खोज में शारीरिक संबंध बनाने की पूरी आजादी देते हैं। यह मानसिक प्रगतिशीलता हो या नियमों के बिना रहने का प्राकृतिक व्यवहार, ऐसी सामाजिक संस्कृति शायद ही कहीं और पाई जाती हो।
परिवार खुद बनाता है ‘लव हट्स’
क्रेउंग जनजाति में बेटियों को सही लाइफ पार्टनर चुनने के लिए न सिर्फ छूट दी जाती है बल्कि प्रोत्साहित भी किया जाता है। इस खोज का अहम हिस्सा होती हैं लव हट्स। इस समुदाय के पेरेंट्स खुद अपनी बेटी के लिए लव हट्स तैयार करते हैं। यहां लड़कियां अपनी पसंद के साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए आजाद होती हैं। ये परंपरा सदियों से इस जनजाति का हिस्सा रही है और आज भी भव्यता के साथ जारी है। लड़की को जिस पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाना सबसे ज्यादा पसंद आ जाता है, लड़की का परिवार उसी लड़के के साथ शादी कराने का फैसला करता है।
सशक्त होती हैं बेटियां
इस जनजाति की प्रथा के मुताबिक जैसे ही लड़की का मासिक धर्म शुरू हो जाता है, उसके लिए घर से दूर एक अलग छोटी सी झोपड़ी बनाई जाती है जिसे ‘लव हट’ कहते हैं। इसके बाद लड़की को समुदाय के लड़कों से मिलने की आजादी दी जाती है। इस जनजाति के लोगों का मानना है कि बेटी के लिए बेहतर लाइफ पार्टनर ढूंढ़ने का यही सही तरीका है। उनका मानना है कि इससे लड़कियां सशक्त बनती हैं। इस परंपरा में अगर लड़की गर्भवती हो जाती है तो जिस लड़के को वह पसंद करती है, उसे बच्चे को अपना नाम देना होता है।
यह परंपरा इस समुदाय का कितना गहरा हिस्सा है, यह इस बात से समझा जा सकता है कि किसी एक लड़के को चुने जाने के बाद बाकी लड़के लड़की के फैसले का सम्मान करते हैं। वे बिना किसी दुख या जलन के विवाह समारोह में शामिल भी होते हैं।
बन जाए खतरा
जाहिर है कि आजादी और सशक्तिकरण के लिए दी गई यह परंपरा कितनी खतरनाक साबित हो सकती है। युवाओं में यह HIV-AIDS जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है। खासकर कम उम्र की लड़कियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी चुनौती खड़ी हो सकती है। कंबोडिया की सरकार इससे होने वाले नुकसान से इस समुदाय को आगाह करने की कोशिश में लगी हुई है। कड़े प्रयासों के बाद अब सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन यह समुदाय अपनी इस परंपरा को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।
-एजेंसियां
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