3000 साल से जमीन के नीचे दबे थे ये 30 रंग-बिरंगे ताबूत

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मिस्त्र की ममियों के बारे में तो आपने भी सुना होगा, ये ममियां अपने आप में एक रहस्य जैसी हैं। हाल ही में मिस्त्र में एक नई खोज की गई जिसमें 3000 साल से ज्यादा पुराने ताबूतों में अब भी असली रंग और छपाई देखने को मिली है। पुरातत्वविदों ने ये खोज लक्सर के प्राचीन कब्रिस्तान में की है। यहां पर उन्‍हें 3000 साल पुराने ताबूत दिखाई दिए हैं। उनका कहना है कि 19 वीं सदी के बाद पहली बार इतने बड़े इंसानी ताबूत की खोज की गई है।

मिस्त्र में पुरातत्वविद करते रहते हैं खोज

मिस्र का दक्षिणी शहर लक्सर में पुरातत्वविद खोज करते रहते हैं, ये इन लोगो के लिए किसी खजाने की तरह माना जाता है। मिस्त्र की ममियों पर जो पुरातत्वविद अध्ययन करते हैं और उनको आए दिन यहां पर कुछ न कुछ नया मिल जाता है। इन दिनों पुरातत्वविदों ने जो खोज की है उसकी तुलना 1891 में इसी तरह के पुजारियों की ममी की खोज से की जा रही है। अल असासिफ में मिले दो मंजिला कब्रिस्तान तो दुर्लभ खोजों में से हैं।

30 ताबूत 3000 साल से जमीन के नीचे

यहां पर खुदाई के दौरान पुरातत्वविदों को लगभग 3000 साल पुराने 30 ताबूत मिले हैं जिनमें पुजारी, उनकी पत्नियां और बच्चों की ममियां हैं, इन्हें ईसा पूर्व 10वीं शताब्दी में 22वें फाराओ वंश के शासन में दफनाया गया था। ये ममियां मिलने के बाद अब आगे की खोजबीन की जा रही है।

पहली बार इतने बड़े पैमाने पर मिले रंग-बिरंगे ताबूत

मिस्र के पुरातत्वविदों ने लक्सर के प्राचीन कब्रिस्तान में 3000 साल पुराने ताबूत देखे हैं। पुरातत्वविदों का कहना है कि 19वीं सदी के बाद “पहली बार इतने बड़े इंसानी ताबूत” की खोज हुई है। पुरातत्वविद इनको देखकर हैरान और परेशान हैं। उनका कहना है कि ये सभी रंग-बिरंगे ताबूत हैं और इनके रंग अभी भी फीके नहीं पड़े हैं।

अच्छे तरीके से ताबूतों का रख-रखाव

पुरातत्वविदों ने देखा कि जो ताबूत मिले हैं उनको भीतर और बाहर दोनों तरफ से बड़े विस्तार से रंगा गया है। ये रंग आज भी ताजे दिखाई दे रहे हैं जिससे ये भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि उस दौरान भी ऐसे मजबूत रंगों की खोज की जा चुकी थी जो लंबे समय तक अपनी चमक नहीं खोते थे और चीजों को बचाकर रखते थे।

पर्यटकों से आकर देखने की कि अपील

इन नए ताबूतों के मिलने के बाद अब मिस्त्र अपने देश में एक बार फिर से पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है।

पुरातत्वविदों ने हाल के महीनों में कई शानदार खोजों की घोषणा की। अब सरकार यहां पर्यटकों को बुलाकर ये दुर्लभ चीजें देखने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

सैन्य विरोध के बाद पर्यटन को पहुंचा था नुकसान

साल 2011 में तत्कालीन शासक होस्नी मुबारक के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद यहां के पर्यटन को बहुत नुकसान पहुंचा। उसके बाद 2013 में इस्लामी सरकार के खिलाफ सैन्य विरोध से पर्यटन को और नुकसान पहुंचा है।

पर्यटकों के लिए दिया जा रहा नया लुक

अब पुरातत्वविद इन ताबूतों को नया रुप देने में लगे हुए हैं। उनकी ओर से इन ताबूतों का बड़े पैमाने पर नवीनीकरण किया जा रहा है। नवीनीकरण कर दिए जाने के बाद इन्हें गीजा के पिरामिडों के बगल में मौजूद ग्रैंड एजिप्शियन म्यूजियम में रखा हुआ है। ये नया बनाया गया म्यूजियम 2020 से पर्यटकों के लिए खोला जा चुका हैं।

-एजेंसियां