मथुरा: श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि पर गिरिराज पूजा महोत्सव में गौड़ीय संतों ने किया उद्दाम नृत्य

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दूर-दूर से हजारों-हजार श्रद्धालु श्रीकृष्‍ण की पवित्र जन्मभूमि के दर्शन के लिए पधार रहे हैं।  परम पवित्र श्रीकृष्‍ण जन्मस्थान पर ठाकुरजी के इस प्रसादी भण्डारे को पाने के लिए भक्तों में एक उत्साह, श्रद्धा एवं भावना के दर्शन हुऐ। नर, नारी, वृद्ध, बालक, सन्त आदि श्रद्धालु सभी कतारबद्ध होकर भगवान के प्रसाद को ग्रहण करने के लिए लालायित रहते हैं। इस सुव्यवस्थित विशाल भण्डारे में भक्तों को भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रसादी व्यंजन अत्यन्त ही श्रद्धा एवं भाव से वितरित किये जा रहे हैं।  श्रीकृष्‍ण संकीर्तन मण्डल के पदाधिकारी एवं उनके परिजन, जन्मस्थान से जुड़े भक्तजन, जन्मस्थान के कर्मचारीगण, पुलिसकर्मी सभी अपने दायित्वों के साथ-साथ इस अनुपम सेवा के लिए तन-मन-धन से समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं।

भगवान श्रीकृष्‍ण की जन्मभूमि पर पधारने वाले श्रद्धालु अधिक से अधिक मात्रा में प्रसाद ग्रहण कर पायें इसके लिए सभी व्यवस्थाऐं सुनिष्चित करने के उद्देश्‍य से श्रीकृष्‍ण संकीर्तन मण्डल के भावुक भक्तजन प्रातः ब्रह्म महूर्त में ही प्रसादी तैयार करने की व्यवस्था में जुट जाते हैं, उनकी यह सेवा मध्य रात्रि तक निरन्तर चलती रहती है। श्रीकृष्‍ण जन्मस्थान पर आयोजित इस सुव्यवस्थित एवं विशाल भण्डारे की चर्चा भक्तजनों में दूर-दूर तक है।

इस प्रकार के विशाल भण्डारे का आयोजन प्रभु कृपा से ही संभव है साथ ही श्रीकृष्‍ण संकीर्तन मण्डल के भावुक भक्तजन का अभिनन्दनीय प्रयास।  श्रीकृष्‍ण जन्मस्थान के इस प्रसादी-भण्डारे को जो भी भक्तजन श्रद्धा एवं भाव से ग्रहण करते हैं,  वह जन्म जन्मान्तर के पाप एवं कष्‍टों से मुक्त हो जाते हैं।

करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़े इस महोत्सव का मुख्य आयोजन (13जुलाई) बुधवार को प्रातः 7 बजे श्रीगिरिराज महाराज का वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य अलौकिक महाभिषेक से होगा। महाभिषेक में दूध, दही, बूरा, घृत, केसर, अष्‍टगन्ध आदि का प्रयोग किया जायेगा।  महाभिषेक के मध्य मंदिर के पूजाचार्य  वैदिक मंत्रों का पाठ करेंगे।  प्रातः 11 बजे से जन्मस्थान के अन्नक्षेत्र परिसर से वृहद मात्रा में भण्डारे का प्रसाद वितरण श्रद्धालुओं को किया जायेगा।

श्री केशवदेवजी महाराज,  श्रीकृष्‍ण-जन्मस्थान (गर्भ-गृह), श्रीगिरिराजजी एवं भागवत-भवन के मंदिरों में ठाकुरजी के दर्शन कर  हजारों-हजार श्रद्धालु दिव्य भण्डारे का प्रसाद ग्रहण करेंगे।  सायं 4 बजे से छप्पनभोग के दर्शन होंगे।  श्रीकृष्‍ण-जन्मस्थान स्थित श्री गिरिराज महाराज मंदिर को लता, पता, पत्र, पुष्‍प, वस्त्र आदि से इस प्रकार सुसज्जित किया जायेगा। संपूर्ण गिरिराज जी मंदिर परिसर गिरिराज महाराज की तलहटी में परिवर्तित प्रतीत होगा।  दिव्य एवं भव्य श्रंगार में श्री गिरिराज महाराज के सम्मुख अर्पित छप्पनभोग के दर्शन श्रद्धालुओं को होंगे।

इस अवसर पर संपूर्ण मंदिर प्रांगण में पुष्‍प एवं  विद्युत सज्जा आकर्षण का केन्द्र होंगे।  इस संपूर्ण आयोजन को सफल बनाने में श्रीकृष्‍ण-जन्मस्थान सेवा संस्थान के पदाधिकारी एवं अधिकारियों के साथ-साथ श्रीकृष्‍ण संकीर्तन मंडल के  रसिक भक्तजन दिन-रात जुटे हुये हैं।

सायं 7 बजे से ठाकुरजी के सुन्दर भजन अपनी सुमधुर वाणी में वृन्दावन के श्री ध्रुव शर्मा एवं उनके रसिक सहयोगियों द्वारा श्रीगिरिराज जी मंदिर प्रांगण में भजन-गायन कर रसपान कराया जायेगा। कार्यक्रम के अंत में श्रीगिरिराज जी की भव्य 108 दीपों से महाशयन आरती होगी।

इस पंचदिवसीय गुरू पूर्णिमा महोत्सव की तैयारियों को एवं छप्पनभोग निर्माण व विशाल भण्डारे की व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने के लिए संस्थान के पदाधिकारी/अधिकारी एवं श्रीकृष्‍ण संकीर्तन मण्डल के सभी सेवाभावी भक्तजन दिन-रात जुटे हुऐ हैं।

-एजेंसी