गोडसे ने पांव छूकर महात्मा को गोली मारी थी, गोडसे के चेले बरसों से महात्मा को फूल चढ़ा-चढ़ाकर गाली दे रहे हैं। क्या इससे गांधी के वजूद पर कोई असर पड़ेगा? संघी सौ सालों से सूरज पर थूक रहे हैं जो बार-बार लौटकर उनके मुंह पर आता है, लेकिन ये बेशरम और निकृष्ट ऐसे हैं कि मानते नहीं।
एक केंद्रीय मंत्री, जो इस देश की शान पर धब्बा है, महात्मा गांधी के हत्यारे को देशभक्त बता रहा है। इससे पहले कई जाने माने भाजपा नेता गोडसे को देशभक्त बता चुके हैं। ये सब संघ, भाजपा और प्रधानमंत्री के दुलरुआ लोग हैं।
प्रधानमंत्री अभी जापान गए थे तो गांधी की प्रतिमा के सामने फोटोशूट करा रहे थे। कुछ दिन बाद अमेरिका जाएंगे तो अपने को महान बताने के लिए गांधी के नाम का इस्तेमाल करेंगे।
दरअसल, आरएसएस और भाजपा की विचारधारा के लोग कायर हैं, वरना देश में गांधी के हत्यारे को देशभक्त बताने वाले लोग अमेरिका और जापान जाकर भी कहने की हिम्मत करते कि मैं कायर हत्यारे गोडसे के देश से आया हूं। मैं गोडसे का ही वारिस हूं। है हिम्मत?
जो महात्मा गांधी अमेरिका कभी नहीं गए, उनकी भारत के बाद सबसे ज्यादा मूर्तियां, स्मारक और संस्थायें अमेरिका में ही हैं। अमेरिका में गांधी जी की दो दर्जन से ज्यादा से प्रतिमाएं और एक दर्जन से ज्यादा सोसाइटी और संगठन हैं। क्या प्रधानमंत्री वहां जाकर यह कहने की हिम्मत कर सकते हैं कि गांधी का हत्यारा देशभक्त था अगर नहीं तो वे देश में ऐसे लोगों को संरक्षण क्यों दे रहे हैं?
महात्मा गांधी भारत के अकेले ऐसे नेता रहे हैं, जिनकी दुनिया के 84 देशों में मूर्तियां लगी हैं। पाकिस्तान, चीन से लेकर छोटे-मोटे और बड़े-बड़े देशों तक में बापू की मूर्तियां स्थापित हैं। उनके जन्मदिवस पर पूरी दुनिया अहिंसा दिवस मनाती है। महात्मा गांधी की हत्या के 21 साल बाद ब्रिटेन ने उनके नाम से डाक टिकट जारी किया। इसी ब्रिटेन से भारत ने गांधी की अगुआई में आज़ादी हासिल की थी।
अलग-अलग देशों में कुल 48 सड़कों के नाम महात्मा गांधी के नाम पर हैं। भारत में 53 मुख्य मार्ग गांधी जी के नाम पर हैं। गांधी जी द्वारा शुरु किया गया सिविल राइट्स आंदोलन कुल 4 महाद्वीपों और 12 देशों तक पहुंचा था।
अपने वक़्त के महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि “कुछ सालों बाद लोग इस बात पर यकीन नहीं करेंगे कि महात्मा गांधी जैसा शख्स कभी इस धरती पर हाड़ मांस का शरीर लेकर पैदा हुआ था।”
नेल्सन मंडेला से लेकर मार्टिन लूथर किंग तक गांधी के मुरीद थे, बराक ओबामा जैसे तमाम वर्ल्ड लीडर आज भी गांधी के मुरीद हैं। अफ्रीका जैसे कई देशों ने गांधी के आदर्शों और रास्तों से आंदोलन चलाया और आज़ादी हासिल की। यहां तक कि दुनिया के कई बदनाम-बर्बाद देश भी गांधी की इज्जत करते हैं। कई निकृष्ट नेता भी गांधी का अपमान करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।
गांधी का यह कद जनता का पैसा फूंककर हाउडी-हाउडी जैसा लबरपन करके हासिल नहीं किया गया है। दुनिया ने खुद उनकी पहचान की कि वे एक महान विचारधारा वाले महात्मा हैं। पूरे ब्रम्हांड में एक ये संघी हैं जिनकी सौ साल की एकमात्र वैचारिक उपलब्धि गांधी की हत्या है, इनको आज भी गांधी से बड़ी समस्या है।
इनसे कोई पूछे कि अगर देशभक्त था तो गांधी क्या थे? एंटी नेशनल? उनके मुरीद सुभाष, उनके शिष्य नेहरू, पटेल और शास्त्री क्या थे? उनके नेतृत्व में चला राष्ट्रीय आंदोलन क्या था? देशद्रोह? और अंग्रेजों की दलाली करने वाले गद्दार कौन थे? देशभक्त? ये अंग्रेजों के पालतू महात्मा गांधी को प्रमाणपत्र देने निकले हैं। जो आज गोडसे को देशभक्त बता रहे हैं, इनकी खुद की देशभक्ति क्या है इन्होंने इस देश और समाज का क्या दिया सिवाय नफरत और हिंसा के?
इस देश का प्रधानमत्री इस देश के साथ क्या कर रहा है? वह ऐसे लोगों को संरक्षण क्यों देता है जो महात्मा गांधी को गालियां देते हैं और उनके हत्यारे का महिमामंडन करते हैं?
दरअसल, प्रधानमंत्री बेईमान आदमी हैं। अगर वे देश में नाथूराम के चेलों को लेकर सरकार चला रहे हैं, उसका महिमामंडन कर रहे हैं तो बाहर जाकर गांधी को पूजने का पाखंड क्यों करते हैं? अगर वे गांधी का सम्मान करते हैं तो उन्हें गाली देने वाले अपने इन चमनबहारों पर कार्रवाई क्यों नहीं करते?
प्रधानमंत्री को चाहिए कि उनकी पार्टी के हत्यारे के भक्तों की तरह वे भी हिम्मत करें और अमेरिका जाकर कहें कि मैं गांधी नहीं, गोडसे का वारिस हूं। लेकिन वे कायर हैं।
क्षुद्र और सांप्रदायिक मानसिकता वाले करोड़ों लोग मिलकर गांधी को रोज गालियां दें तो गांधी का क्या बिगड़ेगा? महात्मा गांधी के साथ सबसे खूबसूरत बात ये है कि उन्होंने जिनसे लड़ाइयां लड़ीं, उन्हें ही अपने सामने झुकाया। अंग्रेजों को भी। वे जिन अंग्रेजों से लड़े, उन्हीं अंग्रेजों ने उनकी महानता स्वीकार भी की और दुनिया को बताया भी कि यह आदमी बाकी दुनिया से परे है, असाधारण।
जिन अंग्रेजों के लिए संघी दलाली करते थे, वे संघियों के आका भी गांधी के सामने शीश नवाने को मजबूर हुए। लेकिन संघियों और संघ के समर्थक चमनबहारों की कुंठा क्या है, ये समझ से परे है। उनका यह कुंठा प्रदर्शन इस देश को सिर्फ बदनाम कर सकता है। गांधी फिर भी गांधी रहेंगे। अहिंसक, सत्याग्रही और मानवता के पुजारी महात्मा गांधी।
गोडसे के अभिशप्त नफरती चेलों, हमें तुम्हारी बुद्धि पर तरस आता है।
– कृष्ण कांत (फेसबुक वॉल से साभार सहित)