बसंत पंचमी के दिन ब्रजधाम ने दिया पूरे देश को होली की शुरूआत का संदेश

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शीत ऋतु अभी गई नहीं है कि बसंत पंचमी से अबीर गुलाल के साथ 40 दिन का होली पर बृज मंडल में आज से पूरे उत्साह के साथ शुरू हो जाता है। इसी प्रकार बृज के अन्य सभी प्रमुख मंदिरों में भी बसंत पंचमी के अवसर अबीर गुलाल के साथ होली पर्व आने की शुरुआत हो जाती है। वैसे भी बृज मंडल में होली पर्व का अपना अलग ही विशेष महत्व है।

संपूर्ण मथुरा वृंदावन सहित संपूर्ण बृज मंडल में 40 दिनों तक होली पर्व की धूम पूरे उत्साह के साथ रहती है। होली आने का संदेश भी कान्हा की जन्मस्थली मथुरा से ही जाता है। मंदिर प्रांगण में अबीर गुलाल के साथ-साथ होली आने का संदेश दिया गया। अबीर गुलाल को ब्रज के प्रमुख मंदिर बांके बिहारी में उड़ता देख श्रद्धालु गदगद हो गए।

रंग बिरंगे गुलाल से सतरंगी हुआ मंदिर प्रांगण

भगवान बांके बिहारी मंदिर में जैसे ही गुलाल उड़ा पूरा मंदिर प्रांगण सतरंगी हो गया। भक्तों के ऊपर सेवायतों ने जमकर गुलाल उड़ाया और हर कोई प्रसाद रूपी गुलाल को लेकर धन्य होना चाहता था। भगवान की भक्ति में भक्त सराबोर नजर आए और भगवान के साथ होली खेली। हर कोई अपने आराध्य के साथ गुलाल से होली खेलना चाहता था।

बांके बिहारी मंदिर से देश भर में होली का संदेश

बांके बिहारी मंदिर के सेवायतों का कहना है कि आज बसंत पंचमी है। आज से ही ब्रज में होली की शुरुआत हो जाती है। बसंत पंचमी के दिन से ही होली का संदेश ब्रज के साथ-साथ पूरे देश में दिया जाता है। भक्तों के साथ भगवान बांके बिहारी ने अबीर गुलाल से होली खेली।

उन्होंने बताया कि कई कुंटल अबीर गुलाल भक्तों ने बांके बिहारी के साथ होली खेलकर उड़ाया। हर कोई उस पल का साथी बनना चाहता था। भगवान के साथ गुलाल से होली खेल कर भक्त आनंदित नजर आए।

बृज के प्रमुख मंदिरों में होली समाज गायन शुरू

बसंत पंचमी के दिन ब्रज के मंदिरों में होली के गुलाल उड़ाए गए। ब्रज के प्रमुख मंदिरों में होली के समाज गायन की शुरुआत आज से हो गई है। अबीर गुलाल श्रद्धालुओं पर उड़ाया गया और होली खेली गई। ब्रज का वातावरण रंगमय हो गया। ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के सेवायत गोस्वामी ने बताया कि बसंत पंचमी का पर्व बड़ा ही अपने आप में महत्व रखता है। ब्रज में होली की शुरुआत बसंत पंचमी के दिन से हो जाती है। श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य के साथ होली खेलकर अपने आपको धन्य किया। आज से जो होली का संदेश दिया गया है। वह पूरे ब्रज के साथ-साथ देश में चला जाएगा।

रसिया गायन शुरू होते ही चढ़ा होली का रंग

यूं तो ब्रज में बसंत पंचमी के दिन से ही होली की शुरुआत हो जाती है। बसंत पंचमी के दिन से ही ब्रज के प्रमुख मंदिरों में होली का डांडा गढ़ने के साथ भक्तों के ऊपर अभीर गुलाल बरसाया जाता है। भगवान के दर्शन करने आए भक्तों के ऊपर जब गुलाल डाला जाता है तो भक्त होली के इस पावन महीने में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ एक दूसरे को गुलाल लगाते हुए नजर आते हैं। जैसे-जैसे होली नजदीक आती जा रही है वैसे वैसे होली की मस्ती भी अपना रंग दिखाना शुरू कर रही है। ब्रज के प्रमुख मंदिरों में होली रसिया गायन की शुरुआत हो गई है और मंदिरों में आने वाले दर्शनार्थियों के ऊपर अबीर गुलाल डाला जाता है।

-एजेंसी