कोर्ट में पेश किए गए आंध्र प्रदेश के पूर्व CM और TDP चीफ चंद्रबाबू नायडू

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चंद्रबाबू नायडू की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट में अपनी दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी पार्टी ने चंद्रबाबू को राजनीतिक फायदे के लिए गलत आरोपों में फंसाया है। इस दौरान कोर्ट कॉम्पलेक्स के बाहर तेलुगु देशम पार्टी के समर्थक भारी संख्या में उपस्थित रहे। वे राज्य के मुख्यमंत्री और YSR कांग्रेस के प्रमुख जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।

इससे पहले शनिवार देर रात अभिनेता और जनसेना प्रमुख पवन कल्याण ने चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी का विरोध किया। राज्य सरकार के विरोध में वे अपने समर्थकों के साथ विजयवाड़ा जा रहे थे। बीच रास्ते में उन्हें पुलिस ने रोका। विरोध में वे सड़क पर ही लेट गए। इसके बाद पुलिस ने उन्हें एहतियातन हिरासत में ले लिया।

तेलुगु अभिनेता नंदमुरी बालकृष्ण ने सीएम रेड्डी को साइको कहा​​​

चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी पर तेलुगु अभिनेता और TDP विधायक नंदमुरी बालकृष्ण ने मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की आलोचना की है। उन्होंने कहा- एक साइको (पागल) राज्य पर शासन कर रहा है। उसके शासन को खत्म करने की जरूरत है।

नंदमुरी ने कहा- पूर्व सीएम नायडू के शासन काल में स्किल डेवलपमेंट सेंटर के जरिए 2 लाख युवाओं को ट्रेनिंग दी गई थी। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि उन्हें इस केस में गिरफ्तार क्यों किया गया।

पुलिस ने कहा, चंद्रबाबू ने पूछताछ में सहयोग नहीं किया

चंद्रबाबू को शनिवार सुबह 6 बजे नंदयाल से गिरफ्तार किया गया था। यहां से उन्हें विजयवाड़ा ले जाया गया, जहां CID ने उनसे 10 घंटे तक पूछताछ की। इसके बाद उन्हें रविवार तड़के 3:40 बजे विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया। यहां 50 मिनट तक उनका मेडिकल टेस्ट हुआ।

यहां से उन्हें कोर्ट ले जाना था, लेकिन CID उन्हें वापस स्टेट इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के दफ्तर ले गई। CID ने बताया कि चंद्रबाबू ने पूछताछ के दौरान सहयोग नहीं किया। उन्होंने जवाब देने की बजाय कहा कि उन्हें कई बातें याद नहीं हैं।

चंद्रबाबू बोले, राजनीतिक फायदे के लिए गलत आरोप में फंसाया गया

चंद्रबाबू के वकील ने कोर्ट को बताया कि राजनीतिक फायदे के लिए चंद्रबाबू पर गलत आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के प्रावधानों की बारीकियों के बारे में बताते हुए दावा किया कि उनके खिलाफ कोई दमदार सबूत नहीं है। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि CID की तरफ से दाखिल की गई रिमांड रिपोर्ट को रिजेक्ट कर दिया जाए।

चंद्रबाबू नायडू के वकील ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के सेक्शन 17A का हवाला देते हुए कहा कि कोई पब्लिक सर्वेंट अपनी आधिकारिक ड्यूटी के निवर्हन के दौरान अगर कोई सुझाव देता है, या कोई फैसला लेता है, तो इससे जुड़े किसी अपराध की इन्क्वायरी या जांच तभी हो सकती है जब इसकी अनुमति कोई ऐसा व्यक्ति दे जो उस पब्लिक सर्वेंट को पद से बर्खास्त करने का अधिकार रखता हो।

वकील ने कहा कि चंद्रबाबू पर जो भी कथित आरोप लगाए जा रहे हैं, उनकी जांच के लिए गवर्नर से इजाजत लेनी जरूरी है। लेकिन इस मामले में गवर्नर की इजाजत के बिना ही कार्रवाई शुरू कर दी गई। ये नियमों का उल्लंघन है, इसलिए रिमांड को रिजेक्ट कर देना चाहिए।

Compiled: up18 News