यूपीए के दौर में भारत में ‘अवरुद्ध’ हो गई थीं आर्थिक गतिविधियां: नारायण मूर्ति

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समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार को भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद में युवा उद्यमियों और छात्रों से बातचीत के दौरान नारायण मूर्ति ने ये बात कही. मूर्ति ने इस बात पर भरोसा जताया कि नौजवान लोग भारत को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन का योग्य प्रतिस्पर्धी बना सकते हैं.

भारत का भविष्य वो किस तरह से देखते हैं, इस सवाल पर नारायण मूर्ति ने कहा, “साल 2008 से साल 2012 के बीच मैं लंदन में एचएसबीसी के बोर्ड में हुआ करता था. शुरुआती कुछ सालों में जब बोर्डरूम की बैठकों के दौरान चीन का जिक्र दो से तीन बार हुआ करता था तो भारत का नाम एक बार लिया जाता था.”

“लेकिन दुर्भाग्य से मुझे नहीं मालूम कि बाद के सालों में भारत के साथ क्या हुआ. मनमोहन सिंह एक असाधारण शख़्स थे और मेरे मन में उनके लिए बड़ी इज्जत थी लेकिन फिर भी भारत का विकास यूपीए के दौर में अवरुद्ध हो गया. फ़ैसले नहीं लिए जा रहे थे और हर काम में देरी हो रही थी.”

नारायण मूर्ति ने कहा कि साल 2012 में जब उन्होंने एचएसबीसी छोड़ा था तो मीटिंग्स में भारत का जिक्र शायद ही होता था जबकि चीन का नाम लगभग 30 बार लिया गया. उन्होंने कहा, “इसलिए मुझे लगता कि ये आपकी पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि लोग भारत का नाम हर उस जगह पर लें जहां वे दूसरे देशों का जिक्र करते हैं, ख़ासकर चीन के बारे में. मुझे लगता है कि ये आप कर सकते हैं.”

इंफोसिस के पूर्व चेयरमैन ने कहा कि एक वक़्त था कि जब पश्चिमी देशों के लोग भारत की तरफ़ देखा करते थे लेकिन आज उनके मन में हमारे लिए इज्जत की भावना है. भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

उन्होंने कहा, “मनमोहन सिंह जब वित्त मंत्री थे और साल 1991 में आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई और मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया जैसी योजनाएं शुरू कीं, इनसे भारत की साख बढ़ी है.”

“जब मैं आपकी उम्र का था तो उस वक़्त कोई जिम्मेदारी नहीं थी क्योंकि न तो कोई मुझसे कुछ उम्मीद रखता था और न ही भारत से लेकिन आज ये उम्मीद की जा रही है कि आप देश को आगे ले जाएंगे. मुझे लगता है कि आप लोग भारत को चीन का एक योग्य प्रतिस्पर्धी बना सकते हैं.”

उन्होंने कहा कि चीन ने महज 44 सालों में भारत को पीछे छोड़ दिया.

-एजेंसी