आगरा: शनिवार को आगरा का जिला अस्पताल अखाड़ा में तब्दील हो गया। एक तरफ सीएमएस डॉ ए के अग्रवाल थे तो दूसरी ओर जिला अस्पताल के चीफ फार्मासिस्ट। कहासुनी से शुरू हुआ विवाद आपसी खींचतान में बदल गया। देखते ही देखते विवाद ने तूल पकड़ा। फार्मेसिस्ट ने भी अपनी बांहें ऊपर की तो वहीं सीएमएस के समर्थन में चिकित्सक भी खड़े नज़र आये। विवाद ज्यादा तूल न पकड़े इसीलिए पुलिस को भी इन्फॉर्म कर दिया गया। कई होम गार्ड और कॉन्स्टेबल सीएमएस रूम के बाहर तैनात हो गए।
यह था मामला
मामला शनिवार सुबह लगभग 9:30 बजे के आसपास का है। जानकारी के मुताबिक शनिवार सुबह दवा काउंटर पर दवाइयां नहीं पहुंची थी जिसके चलते मरीजों को पर्चे की पूरी दवाइयां नहीं मिल पा रही थी। इसके लिए मरीज सीएमएस ए के अग्रवाल से शिकायत करने पहुंचे। मरीजों की लगातार मिली शिकायत के बाद सीएमएस ने दवा काउंटरों पर जाकर दवा की आपूर्ति के बारे में जाना तो मरीजों की कही बात सही निकली। काफी दवाइयों की आपूर्ति दवा काउंटर पर नहीं थी।
इसके बाद सीएमएस सीधे दवा स्टोर रूम में पहुंचे। यहां पर चीफ फार्मेसिस्ट देवेन्द्र सक्सेना और सीएमएस एके अग्रवाल के बीच विवाद शुरू हो गया।
दवा काउंटर पर दवा की आपूर्ति न होने से सीएमएस ए के अग्रवाल खासा नाराज दिखाई दिए और यह नाराजगी उन्होंने चीफ फार्मासिस्ट देवेंद्र सिंह पर उतार दी। सीएमएस के व्यवहार से चीफ फार्मासिस्ट नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि वार्ड बॉय नहीं आया है ऐसे में दवा नहीं निकल पाई है जिसके कारण दवा की आपूर्ति नहीं हुई है। यह सुनकर सीएमएस और ज्यादा नाराज हो गए।
उन्होंने कहा कि जब वार्डबॉय नहीं था तो हमें सूचित करना चाहिए था। इतने में फार्मासिस्ट देवेंद्र स्टोर रूम की ओर जाने लगे तो सीएमएस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। इतने में उनका हाथ पकड़ में आ गया जो फार्मासिस्ट को पसंद नहीं आया और यहीं पर अभद्रता को लेकर जंग छिड़ गई।
चीफ फार्मेसिस्ट देवेंद्र सिंह ने तुरंत इसकी जानकारी अपनी यूनियन को दे दी। फार्मेसिस्ट से विवाद की सूचना पर यूनियन के पदाधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने पहले देवेंद्र सिंह से वार्ता की, इसके बाद फिर वह सीएमएस एके अग्रवाल के पास पहुंचे।
फार्मासिस्ट यूनियन ने भी इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया। फार्मासिस्ट के साथ अभद्रता को लेकर वे काफी नाराज दिखाई दिए। सीएमएस एके अग्रवाल के रूम में बैठकर एसोसिएशन के पदाधिकारियों की वार्ता हुई। सीएमएस ए के अग्रवाल ने भी यूनियन के सामने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि सुबह मरीजों की अत्यधिक भीड़ होती है। ऐसे में मरीजों को दवा नहीं मिलेगी तो मरीज हंगामा करते हैं। स्वास्थ्य विभाग के मंत्री बृजेश पाठक हर चीज पर नजर बनाए हुए हैं। छोटी-छोटी चीज भी ट्वीट होती है ऐसे में जिला अस्पताल में दवा होने पर दवा की आपूर्ति ना होने से बात सिर्फ सीएमएस पर ही गिरती है।
यूनियन ने इसे गंभीरता से सुना लेकिन उन्होंने भी कहा कि हमारे साथ ही साथ जो अभद्रता हुई है वह नहीं होनी चाहिए थी। गुस्से में व्यक्ति इस तरह की घटना कर देता है लेकिन दूसरे की भी रेपुटेशन का ख्याल रखा जाना चाहिए। इस बात को सीएमएस एके अग्रवाल ने भी माना कि जो भी कुछ हुआ वह सिर्फ एक दूसरे के आवेश में हुआ।
फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष की बात माने तो सीएमएस एके अग्रवाल ने अपनी गलती स्वीकार की है और आगे से ऐसा ना होने का आश्वासन भी दिया है। इस दौरान दोनों के बीच जो आपसी भेदभाव थे वह भी मिट गए हैं। सभी लोग मिलकर सिर्फ मरीज के हित में कार्य करने का एक दूसरे को आश्वासन दिया है।
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