प्रवचन: संसार में तुम रहो, संसार तुम में नहीं- राष्ट्र संत मणिभद्र महाराज

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आगरा ।जैन मुनि राष्ट्र संत नेपाल केसरी डा.मणिभद्र महाराज ने कहा कि यदि हमें अपना जीवन सफल करना है तो संसार में रहो, लेकिन संसार तुम में नहीं दिखना चाहिए। यानि संसार के जो दुर्गुण हों, वे नहीं दिखने चाहिए। क्योंकि हमें जो मनुष्य जन्म प्राप्त हुआ है, उसे पूरा निभाना होगा। संसार की विकृति हमारे मन में नहीं आनी चाहिए।

राष्ट्र संत न्यू राजामंडी के जैन भवन में अपने प्रवचन दे रहे थे। उतराध्यायन सूत्र की विवेचना करते हुए उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा जीव त्रियंच गति में, देव गति में और नर्क गति में होते हैं। उनकी आयु भी बहुत होती है। धरती पर मनुष्यों की संख्या बहुत कम होती है और आयु भी 70, 80, 100 और ज्यादा से ज्यादा 110 वर्ष होती है। उनमें भी धर्म को जानने वालों की संख्या बहुत कम होती है। व्यक्ति में मनुष्यत्व आएगा तो उसमें श्रद्धा और उसके बाद संयम आएगा। पुरुषार्थ के साथ त्याग और तपस्या करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान महावीर ने श्रावक को एक ही साधना बताई है-सामयिक। यह समता के भाव जगाने वाली साधना है। सामयिक के 32 दोष होते हैं।

भगवान महावीर का कहना है कि एक ही शुद्ध सामयिक हमारे सारे पाप कर्मों की निर्जरा करके हमारे पुण्य कर्मों का उदय करती है और कभी-कभी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। जैन मुनि ने कहा कि 66 लाख उपवास करना और किसी की एक गाली को समभाव स्वीकार करना बराबर है। लेकिन कुछ लोग तो सामयिक के दौरान भी प्रत्युतर दे देते हैं। जैन मुनि ने एक उदाहरण पेश किया। कहा कि एक सेठ प्रतिदिन किसी स्थानक में रोजाना सामयिक करने आते थे। उनके कोट में सोने के बटन लगे थे,कोट को रोजाना उतार कर ही सामयिक करते थे। चोर ने यह सब ताड़ लिया और सामयिक के वक्त उसने वहां जाकर सोने के बटन चोरी कर लिए। सेठ के सामने यह सब चोर कर रहा था, लेकिन सेठ ने रत्ती भर भी प्रतिक्रिया नहीं की। इसे कहते हैं सच्ची सामयिक, यानि सच्ची साधना। इससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। ध्यान की विधि अलग-अलग बताई गई है,लेकिन सामयिक की तरह साधना कहीं नहीं।

श्रद्धा पूर्वक तपस्या करने वाले जीव को आज भी देवता दर्शन देते हैं। लेकिन अपने धर्म पर विश्वास बहुत जरूरी है। रोगी होने पर हम डाक्टर पर तो विश्वास करते हैं, लेकिन अपने धर्म पर, अपने मुनि पर विश्वास नहीं रखते। यदि ऐसा होगा तो उसका परिणाम भी अच्छा आएगा।

जैन मुनि ने कहा कि हमें सुबह उठ कर ही सोचना चाहिए कि आज हम जो काम करेंगे उसका हमें क्या फल मिलने वाला है। हम उपजाऊ खेत में जैसा बीज बोएंगे, वैसा ही फल हमें मिलेगा। इसलिए हमें बहुत सोच समझ कर ही काम करना चाहिए।

शुक्रवार की धर्म सभा में प्रवचन में समय से आने वालों को पुरस्कृत किया गया।धर्म प्रभावना के अंतर्गत मधु जी बुरड़ की 51 आयंबिल की तपस्या का पारणा हुआ। बालकिशन जैन, लोहामंडी की चातुर्मास से तपस्या निरंतर जारी है।ऊषा रानी लोढ़ा की एक वर्ष से एकासने की तपस्या चल रही है। शुक्रवार को नवकार मंत्र का जाप ऊषा सुरेंद्र लोढ़ा परिवार ने कराया।

प्रवचन में नरेश चप्लावत,राजेश सकलेचा, सचिन जैन, अजय जैन, बिमल चंद, मंजू जैन, मंगेश सोनी, राजीव चप्लावत, संजीव जैन, सुलेखा सुराना, अंजली जैन सुमित्रा सुराना आदि भक्तजन उपस्थित थे।

-up18news