आगरा ।राष्ट्र संत नेपाल केसरी डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि जीवन में सबको सब कुछ नहीं मिलता। एसा कोई भी व्यक्ति नहीं जिस पर कुछ भी नहीं हो। एसा व्यक्ति भी नहीं, जिस पर सब कुछ हो। फिर भी लोग भगवान के आगे भिखमंगों की तरह मांगते ही रहते हैं। उनका मन नहीं भरता।
न्यू राजामंडी के महावीर भवन में चातुर्मास कल्प के दौरान जैन मुनि इन दिनों उत्तराध्यायन सूत्र का वाचन कर रहे हैं। उसके 13 वे अध्याय के प्रसंगों का वाचन करते हुए उन्होंने कहा कि कोई चक्रवर्ती राजा भी हो, उसके पास भी कोई न कोई अभाव होगा। कोई भिखारी भी ऐसा नहीं होगा, जिसके पास कुछ न हो। उसके पास करोड़ों रुपये का शरीर है। पांच इंद्रीय हैं। यदि कोई भिखारी से कहे कि करोड़ों रुपये ले ले और अपना एक हाथ या अपनी आंखें दे दो, तो नहीं देगा। यह बहुमूल्य शरीर हमारे पास है, लेकिन पुरुषार्थ करने के बजाय भगवान के आगे भीख मांगते हैं। ये नहीं चाहिये तो वह चाहिए। कुछ न कुछ जरूर चाहिए। आज तक किसी का पेट नहीं भरा है।
जैन संत ने कहा कि रावण का इतना बड़ा साम्राज्य था, आज उसके परिवार में कोई नाम लेने वाला भी नहीं है। बादशाहों के परिवार को आज कोई नहीं जानता। फिर भी कोई नहीं मानता। सब कुछ होते हुए भी, जो हमारे पास नहीं है, उसी का व्यक्ति रोना रोता रहता है। उन्हें यह सोचना चाहिए कि संपति और जीवन क्षणिक है। पल भर में कुछ पता नहीं चलता कि क्या हो गया। धन, संपति और शरीर सब कुछ स्वाहा हो जाता है। इसलिए संयम धारण करो, लोभ, मोह, माया से दूर रहो। धर्म का अपमान मत करो। धर्म कर्म करने का जरा भी अवसर मिले, तुरंत करना चाहिए। साधु तो समझा ही सकते हैं, समझोगे तो तुम्हारा ही भला होगा।
-up18news
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