आगरा: नेपाल केसरी एवम मानव मिलन संस्थापक जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि जितना उपक्रम पाप के लिए लोग करते हैं, उतना यदि धर्म के लिए करें तो जीवन सुधर जाएगा।
मुनिवर ने कहा कि हम धर्म करने से बचते हैं, समझते हैं कि यह बहुत कठिन है, लेकिन यह गलत धारणा है। जितना श्रम पाप करने में लगाते हैं, उतना श्रम और दिमाग, धर्म कर्म में लगाएं तो जीवन का उद्धार हो जाएगा। धर्म के लिए हम बहाने बनाते हैं, उदासीनता दिखाते हैं, लेकिन जीवन के कुछ पल भी हम धर्म की क्रियाएं नहीं करते। दुकान पर जरूर जाते हैं चाहे बीमार ही क्यों न हों, लेकिन साधना, उपासना के लिए तमाम बहाने बना देते हैं। सोचते हैं कि यह जीवन हिंसा, झूठ, अधर्म के बिना नहीं चल सकता है, इस धारणा खत्म करना चाहिए। लेकिन एसा कुछ करना नहीं चाहते। हमें अपनी आत्मा को जागरूक करना होगा, तभी धर्म की प्रवाहना होगी।भगवान महावीर की शरण में हत्यारे अर्जुन माली का जीवन बदल गया और वह धार्मिक हो गया था।
राजा मंडी के जैन स्थानक में प्रवचन करते हुए जैन मुनि ने कहा कि राजगिरी नगरी में राजा ने ललित कुमार के मडंली को अभय दान दे दिया, जिसमें 6 युवक थे। उन्होंने बगीचे में काम करने वाले अर्जुन माली को रस्सियों से बांध कर उसकी पत्नी के साथ गलत काम किया। अर्जुन माली एक यक्ष की निरंतर उपासना करता था। इस घटना को होते देख उसकी यक्ष के प्रति अनास्था हुई। यक्ष को इस बात का अहसास हुआ तो अर्जुन माली को एक शक्ति दी और फिर अर्जुन माली ने 57 किलो लोहे के मुगदर से उन छह युवकों और अपनी पत्नी की हत्या कर दी। उसके बाद तो उस पर हत्या का खून सवार हो गया। वह प्रतिदिन 6 पुरुष एक महिला की हत्या करने लगा। राजगिरी नगरी का राजा भयभीत हो गया। उसने अपने नगर के सभी द्वार बंद कर दिया। एक दिन भगवान महावीर वहां पहुंचे तो गेट बंद होने के कारण नगर के बाहर एक बगीचे में विश्राम करने लगे। उसी नगरी में रहने वाले सुदर्शन सेठ को पता चला तो वह भगवान महावीर की शरण में गया। हत्यारा अर्जुन माली तो घात लगाए बैठा था। जैसे ही अर्जुन माली ने सेठ सुदर्शन को मारने के लिए मुगदर उठाया, वह छिटक कर दूर जा गिरा और बेहोश हो गया।
जैन मुनि ने बताया कि होश में आने पर अर्जुन माली को धर्म का ज्ञान हुआ। पश्चाताप किया। अर्जुन माली पांच महीने 13 दिन में 1141 लोगों की हत्या कर चुका था। जिसमें 989 पुरुष व 163 महिलाएं थीं। इतना बड़ा पापी भी सुधर कर अहिंसक हो गया। भगवान महावीर के बताए मार्ग पर चलता रहा।
प्रयूषण पर्व के छठवें दिन सोमवार की धर्म सभा में नीतू जैन दयालबाग की 14 उपवास ,सुमित्रा सुराना की 9 उपवास, अनौना दुग्गर, महेंद्र बुरड़ की 8 उपवास , अंशु दुग्गर की 7 उपवास, सुनीता दुग्गड़ ,पद्मा सुराना, मनीष लिघे,निकिता,हिमांशु मनानिया,प्रतीक ,सुहानी जैन की 6 उपवास की तपस्या चल रही है। आयम्बिल की लड़ी में मधु बुरड़ की 6 आयम्बिल एवम बालकिशन जैन, लोहामंडी की 18 आयंबिल की, कंचन दुग्गड़ की 49 एकाशने की तपस्या चल रही है।
प्रयूषण महापर्व पर नवकार मंत्र का 24 घंटे का अखंड जाप जैन मुनि डॉक्टर मणिभद्र महाराज ,पुनीत मुनि एवम विराग मुनि के सानिध्य में महावीर भवन जैन स्थानक में 31 अगस्त तक निरंतर जारी है ।जिसमे प्रात: 6:00 से सायं 6:00 बजे तक महिलाएं एवम सायं 6:00 से प्रातः 6:00 बजे तक होने वाले अखंड जाप में पुरुष भाग ले रहे है। अंतगड सूत्र वाचन प्रतिदिन प्रातः 8:30 बजे से हो रहा है। प्रयूषण पर्व पर पुरुषों का प्रतिक्रमण महावीर भवन एवम महिलाओं का सुराना भवन में शाम 7:00 से 8:00 बजे तक प्रतिदिन चल रहा है।
सोमवार के कार्यक्रम में श्री श्वेतांबर स्थानवासी जैन ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक जैन ओसवाल, महामंत्री राजेश सकलेचा कोषाध्यक्ष आदेश बुरड़, नरेश चपलावत, प्रेमचंद जैन, विमल चंद जैन, वैभव जैन,सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।
-up18news