उत्तराखंड की धामी सरकार ने इतिहास रचा, समान नागरिक संहिता विधेयक सदन में ध्वनिमत से पारित

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धामी ने कानून से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं को सदन के सामने रखा। उन्होंने कगा कि इस कानून का उद्देश्य तुष्टीकरण नहीं बल्कि समाज में समानता लाना है। धामी ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हमने उत्तराखंड की जनता के सामने प्रस्ताव रखा था कि हम यूसीसी कानून बनाएंगे और उसके लिए एक ड्राफ्ट कमेटी बनाएंगे। उत्तराखंड में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक समान कानून होना चाहिए।

समान नागरिक संहिता के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बोलते हुए धामी ने कहा कि नए कानून के लागू होने के बाद पति या पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूर्णतः प्रतिबंधित होगा। जन्म और मृत्यु के पंजीकरण की तरह विवाह और विवाह विच्छेद का पंजीकरण कराया जा सकेगा। ये पंजीकरण वेब पोर्टल के माध्यम से किया जा सकेगा। कोई पहला विवाह छिपाकर दूसरा विवाह करेगा तो पंजीकरण के जरिए इसका पता लग जाएगा। इससे माताओं और बहनों में सुरक्षा का भाव आएगा।

धामी ने साफ किया कि अगर विवाह का पंजीकरण नहीं किया जा सका है तो ऐसी स्थिति में भी विवाह अमान्य नहीं माना जाएगा। पति-पति के विवाह विच्छेद या घरेलू झगड़े के समय में 5 साल तक के बच्चे की कस्टडी मां के पास होगी। धामी ने कहा कि नए कानून में जायज या नाजायज बच्चे में कोई भेद नहीं होगा। बच्चे नाजायज नहीं होते, वह पूरी तरह निर्दोष होते हैं इसलिए नाजायज शब्द को खत्म किया गया है। दोनों ही तरह के बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।

धामी ने कहा कि UCC में लिव-इन संबंधों को भी परिभाषित किया गया है। वयस्क पुरुष 21 वर्ष का, 18 साल की महिला लिव इन में रह सकती है। इसके लिए उन्हें पंजीकरण कराना होगा। इससे विवाह से संबंधित अपराध को रोका जा सकेगा। सीएम ने कहा कि ऐसे सभी प्रावधान जो भी हमारी सब पीढ़ियों के लिए अच्छे हो सकते हैं, उसको यूसीसी में दिया गया है। इस तरह संहिता के जो प्रमुख बिंदु हैं, जिन पर चर्चा की है, मैं ये कह सकता हूं कि हमारे शास्त्रों में जो वर्णित है, यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता- ये उक्ति चरितार्थ होती है। साथ ही पीएम के नारी शक्ति वंदन का संकल्प भी चरितार्थ होता है।

धामी ने कहा कि जैसे ही यह ऐक्ट के रूप में लागू होगा, किसी भी प्रकार की समस्या न हो, इसके लिए पहले से ही व्यवस्था बना ली गई है। आगे जहां-जहां सुधार की जरूरत होगी, हम संशोधन की तरफ आगे बढ़ेंगे। बता दें कि बुधवार को उत्तराखंड विधानसभा में विपक्षी दल के नेता की ओर से यूसीसी बिल को प्रवर समिति को भेजे जाने का प्रस्ताव ध्वनि मत से रद्द कर दिया गया। वहीं बिल के प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से स्वीकृत कर लिया।

-एजेंसी


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