तंगहाली से जूझते पाकिस्तानियों को आ रही भगवान राम और उनके पुत्र लव की याद

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ये सच है कि पाकिस्तान के सबसे प्रमुख शहरों में से एक लाहौर भगवान राम के बेटे लव की नगरी रही है। इस शहर का प्राचीन इतिहास भारतीय संस्कृति से जुड़ता है। भारत में पहले भी इस तरह की बात कही जाती रही है लेकिन इस बार खुद पाकिस्तानी मीडिया ने इस सच को स्वीकार किया है।

मुस्लिम लीग समर्थित अखबार ‘द डॉन’ की एक रिपोर्ट में लाहौर शहर के प्राचीन इतिहास की पड़ताल की गई है। इस रिपोर्ट में माना गया है लाहौर को राजकुमार लव ने बसाया था और उन्हीं के नाम पर इस शहर को यह नाम मिला। साथ ही पाकिस्तान के एक अन्‍य शहर ‘कसूर’ को भगवान राम के दूसरे बेटे कुश का बसाया हुआ बताया गया है।

इसके अलावा भी इस शहर के कई पुराने मंदिरों और ऐतिहासिक इमारतों के बारे में बताया गया है आमतौर पर पाकिस्तान और पाकिस्तानी मीडिया वहां के प्राचीन इतिहास से इनकार करता रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में भी पाकिस्तान में ज्यादा बात नहीं की जाती। वे मुहम्मद बिन कासिम के से पहले के इतिहास को ‘अंधेरे का युग’ कहते हैं।

यही वजह है कि पाकिस्तान अब तक इस सच को स्वीकार करने से बचता रहा है। लेकिन अब आश्चर्यजनक रूप से पाकिस्तानी मीडिया में इसकी चर्चा हो रही है।

लाहौर किले के भीतर है लव मंदिर, किले से काफी पुराना

लाहौर किले के भीतर मौजूद लव मंदिर लाहौर की सबसे पुरानी इमारत है। यह मंदिर किले के बनने से काफी पहले से यहां मौजूद था। मुगल काल में बादशाह अकबर ने इसके चारों और किले का निर्माण करा दिया।

जिसके बाद यह मंदिर भी किले का हिस्सा हो गया। लेकिन मंदिर के डिजाइन और मौजूदा शहर की सतह से इसकी उसकी ऊंचाई के आधार पर माना गया है कि यह मंदिर किले की अपेक्षा काफी पुराना है।

7वीं सदी में चीनी यात्री ने भी लाहौर को बताया था मंदिरों का शहर

7वीं सदी में चीनी यात्री युवान चांग भारत की यात्रा पर आया था। इस दौरान वह लाहौर भी गया। उसने लाहौर के बारे में लिखा कि यह शहर सुंदर और बड़े मंदिरों और बागों से भरा हुआ है।

इसके अलावा साल 982 में लिखे गए एक दस्तावेज में भी लाहौर के मंदिरों के बारे में जानकारी मिलती है। यह लिखित दस्तावेज आज भी ब्रिटिश म्यूजियम में देखा जा सकता है।

भीड़भाड़ वाले बाजार में मौजूद है टिब्बी वाला शिवालय

टिब्बी बाजार लाहौर का भीड़भाड़ वाला इलाका है। इसी इलाके के बीचों-बीच एक प्राचीन शिव मंदिर है। इसे टिब्बी वाला शिवालय कहा जाता है। ये शिवालय अरब आक्रमण के पहले से लाहौर में मौजूद है।

लाहौर को बताया 4 हजार साल पुराना शहर

इसी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लाहौर शहर लगभग 4000 हजार साल पुराना है। अरब आक्रमण से पूर्व यहां कई बड़े हिंदू और बौद्ध शासक हुए।

मिस्र के एक यात्री के विवरण के आधार पर दावा किया गया है कि पाटलिपुत्र (पटना) और नील नदी (मिस्र) के बीच बसे ‘खूबसूरत’ शहर लाहौर को ही कहा गया है।

कुतुबुद्दीन ऐबक से लेकर महाराजा रंजीत सिंह से जुड़ा है लाहौरी इतिहास

लव की नगरी लाहौर मध्य और आधुनिक काल में भी ऐतिहासिक महत्व का शहर रहा है। इसी शहर में गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक की घोड़े से गिरकर मौत हुई थी। उसकी कब्र इसी शहर में है। यहां दाता गंज बख्श का भी मज़ार मौजूद है। मुगल काल में लाहौर का किला सत्ता का प्रमुख केंद्र था।

बाद में जब महाराजा रंजीत सिंह ने पंजाब की सत्ता संभाली तो उन्होंने भी लाहौर के किले को अपना केंद्र बनाया।
आधुनिक लाहौर शहर को भी सर गंगाराम नाम के इंजीनियर ने बसाया था। उनके नाम पर दिल्ली में एक प्रमुख अस्पताल भी चलता है।

Compiled: up18 News