उमर खालिद को जमानत देने से दिल्ली हाई कोर्ट का इंकार

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हाई कोर्ट के जस्टिस सिदार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने उमर खालिद की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनाया। उमर खालिद ने निचली अदालत में जमानत अर्जी खारिज करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए जमानत की अर्जी दाखिल की थी। वहीं कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा कि सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए निचली अदालत ने जमानत याचिका ख़ारिज की थी।

बता दें कि 24 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इंकार कर दिया था। उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था और पिछले साढ़े सात सौ से अधिक समय से जेल में हैं। जमानत याचिका पर उमर खालिद के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने 22 अप्रैल को बहस शुरू की और 28 जुलाई को उनकी बहस समाप्त हुई। वहीं विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने 1 अगस्त को बहस शुरू की और 7 सितंबर को बहस समाप्त हुई।

बता दें कि जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर में यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 लगाई गई है। जेएनयू से स्कॉलर उमर खालिद, पिंजरा तोड़ सदस्यों देवांगना कलिता, जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा, स्टूडेंट एक्टिविस्ट गुलफिशा फातिमा और नताशा नरवाल के साथ एफआईआर 59 में आरोपी है।

इस मामले में उमर खालिद के अलावा अन्य 10 लोगों के खिलाफ भी आरोपपत्र (चार्जशीट) दायर किया गया है। इसमें पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, मीरान हैदर, शिफा-उर-रहमान, आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, एक्टिविस्ट खालिद सैफी, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान शामिल हैं।

-एजेंसी