भारत और US में गहरे संबंध, अमेरिका भारत के लिए ‘पार्टनर ऑफ़ चॉइस’: नेड

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अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि दुनिया के दूसरे सहयोगियों की तरह भारत के लिए अमेरिका ‘पार्टनर ऑफ़ चॉइस’ है.

मंगलवार को हुई व्हाइट हाउस की प्रेस वार्ता में नेड प्राइस ने कहा कि साझा हितों को देखते हुए अमेरिका अभी भी भारत का सहयोगी है और एशिया प्रशांत क्षेत्र को लेकर दोनों के साझा हित हैं.

उन्होंने कहा, भारत और अमेरिका में गहरे संबंध हैं. अगर ऐतिहासिक रिश्तों को अलग कर देखा जाए तो अमेरिका भारत के लिए ‘पार्टनर ऑफ़ चॉइस’ है.

इससे पहले राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को कहा था कि क्वॉड गठबंधन में शामिल देशों के बीच भारत अकेला ऐसा मुल्क है जिसका रवैया रूस को अलग-थलग करने को लेकर ढुलमुल रहा है. हालांकि क्वॉड गठबंधन में शामिल ऑस्ट्रेलिया ने कहा था कि रूस और भारत के बीच के रिश्ते ऐतिहासिक हैं और ऑस्ट्रेलिया भारत की स्थिति समझ सकता है.

नेड प्राइस से सवाल पूछा गया था कि ‘क्या क्वॉड गठबंधन के सभी सहयोगी भारत और रूस के बीच के ऐतिहासिक रिश्तों की बात समझते हैं और इसे स्वीकार करते हैं और क्या इसका असर आने वाले वक्त में क्वाड पर पड़ेगा?’

क्वॉड यानी क्वॉडिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ गठबंधन है जिसका मानना है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र को मुक्त रखा जाना चाहिए.

चीन ने हाल के सालों में एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपने कृत्रिम टापू बनाए हैं और वो इस इलाक़े पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. माना जाता है कि क्वॉड चीन की इसी कोशिश के ख़िलाफ़ बनाया गया है.

इस सवाल के जवाब में नेड प्राइस ने कहा कि “क्वॉड में भारत की जगह, और क्वॉड और द्विपक्षीय स्तर पर हमारे संबंधों के बारे में ये कहा जा सकता है कि मुक्त एशिया प्रशांत क्षेत्र के हमारे सपने को पूरा करने में भारत हमारा महत्वपूर्ण सहयोगी है. हम जानते हैं कि क्वॉड का उद्देश्य इससे जुड़ा है.”

“क्वॉड में शामिल मुल्कों के नेताओं ने मार्च की शुरुआत में रूस-यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा की थी. इससे पहले विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाक़ात की थी. इन चर्चाओं के दौरान एशिया प्रशांत क्षेत्र को मुक्त बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई गई थी और इस इलाक़े से जुड़े मुल्कों की संप्रभुता का सम्मान करने पर भी सहमति बनी थी.”

“लेकिन अब सवाल इतिहास और आज के उस अहम मोड़ का है जहां हम खड़े हैं. हाल में राजनीतिक मामलों की अंडर सेक्रेटरी विक्टोरिया नुलैंड भारत के दौरे पर गई थीं. उन्होंने भी इसी मुद्दे पर बात की थी और कहा था कि रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक रक्षा और सुरक्षा संबंध रहे हैं.”

“ये पुराने रिश्ते हैं और उस वक्त न तो अमेरिका और न ही हमारे दूसरे सहयोगियों के भारत के साथ उस तरह के रिश्ते थे. वो वक्त अलग था और उस वक्त चिंताएं अलग थीं. लेकिन अब वक्त बदल गया है. भारत के हमारे मज़बूत रक्षा और सुरक्षा सहयोगी बनने की हमारी इच्छा और क्षमता के संदर्भ अब बदल गए हैं. बीते 25 सालों में हम दोनों के बीच द्विपक्षीय रिश्ते, असहमति के बावजूद और गहरे हुए हैं.”

“सच कहें तो अब अमेरिका भारत का सहयोगी है. साझा हितों के मामले में अमेरिका भारत का सहयोगी है और एशिया प्रशांत इलाक़े को लेकर हमारे साझा हित हैं. रक्षा और सुरक्षा के लिहाज़ से हम इस रिश्ते को आगे बढ़ा रहे हैं. इसलिए ऐतिहासिक रिश्तों से अलग दुनिया के हमारे दूसरे सहयोगियों की तरह हम भारत के लिए ‘पार्टनर ऑफ़ चॉइस’ हैं ”

-एजेंसियां