अगले दो हफ्ते में नीचे आ सकती है कच्चे तेल की कीमत: चेयरमैन BPCL

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रूस और यूक्रेन के बीच जारी लड़ाई से कच्चे तेल की कीमत में भारी उछाल आया है और यह 2008 के बाद उच्चतम स्तर पर है। इस बीच अमेरिका ने रूस से तेल के आयात पर पाबंदी लगा दी है। रूस ने धमकी दी है कि कच्चे तेल की कीमत 300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। अमेरिका दुनिया के कई देशों में तेल की कीमत रेकॉर्ड हाई पर पहुंच चुकी है।

माना जा रहा है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमत में भारी उछाल आने की आशंका है। इससे पेट्रोल पंपों में लंबी कतारें लगी हैं और लोग पेट्रोल-डीजल महंगा होने से पहले ही टंकी फुल करा लेना चाहते हैं। लेकिन BPCL के चेयरमैन और एमडी अरुण कुमार सिंह का कहना है कि अगले दो हफ्ते में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर के नीचे आ सकती है और लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।

90 डॉलर तक आ सकती है कीमत

सिंह ने ईटी के साथ इंटरव्यू में कहा कि यूक्रेन-रूस लड़ाई खत्म होने के बाद कच्चा तेल 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ सकती है। उन्होंने कहा, ‘घबराने की जरूरत नहीं है। दुनिया लंबे समय तक इतनी ऊंची कीमत नहीं झेल सकती है। इससे दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और तेल की मांग में कमी आएगी।’ अगर कीमत ऊंचे स्तर पर बनी रहती है तो इससे मांग में दो से तीन फीसदी यानी रोजाना दो से तीन मिलियन बैरल प्रतिदिन की कमी हो सकती है।

बीपीसीएल चेयरमैन ने कहा कि रूस से दो कार्गो अप्रैल में बीपीसीएल के लिए डिलिवरी करेंगे। कंपनी स्पॉट मार्केट से रूसी तेल खरीदती है। भारतीय रिफाइनर कंपनियां अमूमन स्पॉट मार्केट से 30 से 40 फीसदी तेल खरीदती हैं और बाकी लॉन्ग टर्म डील्स से आता है। ये कंपनियां कम से कम एक महीने की इंवेट्री रखती हैं। सिंह ने कहा कि अप्रैल में प्रोसेसिंग के लिए क्रूड आ चुका है। अगर इसमें एक महीने की इंवेट्री मिला दी जाए तो मई तक उनके पास अपनी जरूरत का पर्याप्त क्रूड मौजूद है।

दिवाली से नहीं बदली कीमत

देश में दिवाली के बाद से पेट्रोल-डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है जबकि इस दौरान कच्चे तेल की कीमत में करीब 50 डॉलर का इजाफा हुआ है। इससे तेल कंपनियों को प्रति लीटर 12 से 15 रुपये का नुकसान हो रहा है। माना जा रहा है कि चुनावों के बाद चरणबद्ध तरीके से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। अर्थशास्त्रियों को आशंका है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत में तेजी से चौतरफा महंगाई बढ़ सकती है जिससे इकनॉमिक रिकवरी प्रभावित हो सकती है।

-एजेंसियां