कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम कहा, जातिगत जनगणना देश की एकता के विरुद्ध

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महात्मा गांधी, नेहरू, इंदिरा से लेकर राजीव गांधी तक की कांग्रेस ने समाज के हर वर्ग को अपने साथ लेकर आगे बढ़ने की राजनीति की। ऐसे में कांग्रेस को जातिगत राजनीति सूट नहीं करती और इससे पार्टी को लाभ की जगह नुकसान होगा।

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आरोप लगाया कि भाजपा लोगों को धर्म के आधार पर बांटती है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार जातियों की राजनीति  समाज को जातियों के आधार पर बांटने की कोशिश है। धर्म के आधार पर राजनीति होने का दुष्परिणाम देश ने 1947 में भुगत लिया है, जब उसके दो टुकड़े हो गए थे। अब जातियों के आधार पर राजनीति हो रही है तो इससे भी देश के सामने उसके टुकड़े-टुकड़े होने का खतरा पैदा हो सकता है।

सबका विकास की राजनीति, विनाश करने की नहीं

कृष्णम ने कहा कि देश के संविधान में गरीबों, दलितों और आदिवासियों के साथ-साथ हर समुदाय के लोगों को आगे बढ़ाने की नीति उपलब्ध है। लेकिन किसी को भी पीछे धकेलने की कोई नीति संविधान में उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि ओबीसी जातियों के मुद्दे को गैर जरूरी तरीके से उठाने और ऊंची जातियों को हर बात के लिए खलनायक की तरह पेश करने से सामाजिक असंतोष भड़क सकता है जो देश की एकता के लिए ठीक नहीं होगा। इसलिए कांग्रेस को इस तरह की नीति नहीं अपनानी चाहिए।

यूपी में हो सकता है नुकसान

कांग्रेस के एक अन्य शीर्ष नेता ने कहा कि देश की सत्ता की राह उत्तर प्रदेश से होकर जाती है। पार्टी यहां पर भाजपा से नाराज अगड़ी जातियों और मुसलमानों को अपने साथ लेकर यहां अपनी मजबूती की राह तलाश रही थी। इसी नीति पर चलते हुए यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने अपना स्वागत धार्मिक रीति रिवाज से कराया। प्रदेश कार्यालय में भगवान परशुराम की मूर्ति लगाई गई और ब्राह्मण नेताओं की जयंती जिलेवार स्तर पर मनाकर उन्हें अपने साथ लाने का प्रयास किया गया।

पार्टी को इसका लाभ मिलता दिखाई पड़ रहा था। नए प्रदेश अध्यक्ष का जगह-जगह पर ब्राह्मण और भूमिहार जातियों की ओर से स्वागत किया जाना इसका संकेत माना जा सकता है। यूपी कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि यहां पर पिछड़ी जातियों की जातिगत राजनीति की दावेदार के रूप में समाजवादी पार्टी बहुत मजबूत है। ऐसे में कांग्रेस को इसका लाभ नहीं मिलेगा जबकि ओबीसी आरक्षण की राजनीति करने से दूसरे तबके उसके हाथ से छिटक कर दूर जा सकते हैं। इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। प्रदेश नेताओं का मानना है कि ओबीसी की राजनीति करने से पूरा मामला ‘यादव बनाम अन्य ओबीसी’ वाला हो सकता है। इससे भी पार्टी को नुकसान हो सकता है।

उत्तराखंड-हिमाचल प्रदेश में भी नुकसान

कांग्रेस के उक्त नेता का कहना है कि उत्तराखंड में पूरी राजनीति ठाकुर और ब्राह्मण आधारित रही है। हिमाचल प्रदेश में भी कमोबेस इसी तरह की  स्थिति है। लेकिन यदि कांग्रेस केवल ओबीसी समुदाय की राजनीति को प्रमोट करती है तो उससे इस प्रदेश की उच्च जातियां उसके खिलाफ जा सकती हैं। जिस तरह लालू यादव ने ओबीसी समुदाय की ज्यादा हिस्सेदारी के आधार पर ओबीसी समाज के लिए ज्यादा आरक्षण की मांग उठाना शुरू कर दिया है, इंडिया गठबंधन में रहते हुए राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेता भी इस मुद्दे को उठा सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो उत्तराखंड-हिमाचल प्रदेश की जातियां कांग्रेस के विरोध में जा सकती हैं क्योंकि उनका मुख्य व्यवसाय नौकरी करना ही रहा है।

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि इस तरह के मुद्दे उठाने से पहले इसके परिणामों पर विचार करना चाहिए।

Compiled: up18 News