संसद का बजट स्थगित होने के बाद भी अडानी समूह विवाद की जांच को लेकर कांग्रेस ने हथियार नहीं डाले हैं। कांग्रेस महासचिव प्रभारी संचार जयराम रमेश ने बुधवार को कहा कि उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच को पत्र लिखकर अडानी समूह के खिलाफ न्यूयॉर्क स्थित-हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की मांग की है।
जयराम रमेश ने अपने पत्र में उठाए हैं दो मुद्दे
जयराम रमेश ने अपने पत्र में केंद्रीय बैंक से इस मुद्दे के दो पहलुओं पर गौर करने का आग्रह किया है। पहला, भारतीय बैंकिंग प्रणाली का सही अडानी जोखिम क्या है? दूसरा, अडानी समूह को स्पष्ट और निहित गारंटी क्या है कि अगर विदेशी फंडिंग बंद हो जाती है तो भारतीय बैंकों द्वारा उसे उबार लिया जाएगा?
कांग्रेस नेता ने की ये मांग, जताई कई बड़ी आशंकाएं
जयराम रमेश ने लिखा कि आरबीआई को ‘यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वित्तीय स्थिरता के जोखिमों की जांच की जाए और उन्हें नियंत्रित किया जाए।’ वहीं सेबी प्रमुख को लिखे अपने पत्र में जयराम रमेश ने एक ऐसी जांच की मांग की जो पूर्ण और बिना किसी पक्षपात के हो। जयराम रमेश के पत्र में कहा गया है, “ऐसा करने में कोई भी नाकामी भारतीय कॉरपोरेट गवर्नेंस और भारत के वित्तीय नियामकों पर बुरा असर डालेगी। साथ ही वैश्विक स्तर पर धन जुटाने की हमारी क्षमता को प्रभावित भी कर सकती है।”
LIC और SBI के अडानी समूह में भारी निवेश पर पूछे सवाल
जयराम रमेश ने यह भी सवाल किया कि जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अडानी समूह की इक्विटी को भारी मात्रा में क्यों खरीदा है।
उन्होंने लिखा, “एलआईसी पर 30 करोड़ भारतीय अपने जीवन की बचत के लिए भरोसा करते हैं, उसने हाल के दिनों में अडानी समूह के शेयरों में हजारों करोड़ रुपये खो दिए हैं। क्या हमें यह सुनिश्चित नहीं करना चाहिए कि ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थान अपने निजी क्षेत्र के समकक्षों की तुलना में अपने निवेश में अधिक रूढ़िवादी हैं और ऊपर से दबाव से मुक्त हैं?”
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को बताया झूठा, विपक्ष कर रही जांच की मांग
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह द्वारा स्टॉक में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। इसके बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयर की कीमतों में काफी गिरावट आई है। हालांकि, अडानी समूह ने सभी आरोपों का खंडन किया है और हिंडनबर्ग पर “अनैतिक शॉर्ट सेलर” होने का आरोप भी लगाया है। अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को “झूठ” कहा है।
इसके बावजूद देश में इस रिपोर्ट पर सियासी रार थमती नहीं दिख रही। इस सप्ताह की शुरुआत में खत्म हुए संसद के बजट सत्र के पहले चरण के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अडानी समूह विवाद की जांच की मांग को लेकर दोनों सदनों की कार्यवाही को बार-बार बाधित किया था।
Compiled: up18 News