आगरा: सिकंदरा थाने के इंस्पेक्टर आनंद कुमार शाही फिर सुर्खियों में है। आनंद कुमार शाही पर एक अधिवक्ता ने अभद्रता करने और उसके पिता को अवैध रूप से हिरासत में रखे जाने का आरोप लगाया है। इसको लेकर अधिवक्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने आईजी आगरा से मुलाकात की। अधिवक्ताओं के प्रतिनिधिमंडल ने सिकंदरा थाना के इंस्पेक्टर के दुर्व्यवहार साथ-साथ उनकी कार्यशैली की भी शिकायत की। मंगलवार को आईजी से मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि जब अधिवक्ता अपनी बात थाना अध्यक्ष के सामने नहीं रख सकता तो एक आम व्यक्ति कैसे अपनी बात को रख पाता होगा। थाना इंस्पेक्टर का व्यवहार बिल्कुल तानाशाह की तरह है।
अधिवक्ता के पिता को अवैध रूप से रखा हिरासत में
मामला 24 जुलाई का है। पीड़ित अधिवक्ता ने बताया कि उनकी कैलाश पर उनकी जमीन पड़ी हुई है। पिता हरि ओम उस जमीन को समतल करा रहे थे। तभी वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने कार्य को गैरकानूनी तरीके से रुकवाने का प्रयास किया। जबकि जमीन की सारी कानूनी कागजात उनके पास हैं। जब सभी कागजातों का वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को हवाला दिया गया तो उन्होंने पुलिस बुला ली। और पुलिस भी बिना किसी जांच पड़ताल की पिता को थाने ले आए और हवालात में बंद कर दिया।
पिता को छुड़ाने पर मिले अपशब्द
पीड़ित अधिवक्ता अखिलेश तिवारी उर्फ गोल्डी का कहना है कि जब उन्हें सूचना मिली कि पिता को पुलिस पकड़ कर ले गई है तो वह तुरंत सिकंदरा थाने पहुंचे। यहां पर उन्होंने थाना इंस्पेक्टर आनंद कुमार शाही को अपना परिचय दिया और उन से निवेदन किया कि उनके पास जमीन के सारे कागजात हैं। वन विभाग वाले उनसे पैमाइश के लिए रुपयों की डिमांड करते हैं । इसलिए उन्होंने झूठी शिकायत की है। पिता को हिरासत में रखना गैरकानूनी है। इसको सुनते ही थाना अध्यक्ष महोदय का पारा चढ़ गया और उन्होंने अपशब्द कहना शुरू कर दिया। पिता को 5 घंटे तक अवैध रूप से हवालात में रखा गया।
थाना इंस्पेक्टर के खिलाफ उचित कार्रवाई की उठाई मांग:-
पीड़ित अधिवक्ता और अधिवक्ताओं के प्रतिनिधिमंडल ने आईजी जोन से मांग की है कि सिकंदरा थाना इंस्पेक्टर के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। यह तो अधिवक्ता थे जो मामले को अपने तरीके से हल करके ले गए। अगर कोई पीड़ित थाना इंस्पेक्टर के पास जाता होगा तो उसका क्या हाल होता होगा।