मणिपुर हिंसा मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा मामले से जुड़े मामलों की पड़ताल और लोगों के पुनर्वास के लिए HC के तीन पूर्व न्यायधीशों की कमेटी बनाई है। ये कमेटी CBI और पुलिस जांच से अलग मामलों पर नजर रखेगी। ये समिति महिलाओं से जुड़े अपराधों और अन्य मानवीय मामलों व सुविधा की निगरानी करेंगी।
तीन सदस्यीय कमेटी में जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर जस्टिस गीता मित्तल, जस्टिस आशा मेनन और जस्टिस शालिनी पनसाकर जोशी शामिल हैं। आज हुई सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हम फ़िलहाल जमीनी स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं। हम सभी शांति की बहाली चाहते हैं। कोई भी छोटी चूक बहुत गहरा असर डाल सकती है। वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इन मामलों के अलावा अब तक जिन मामलों में अब तक पुलिस या सरकार द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया गया उनमें भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
रिटायर्ड IPS करेगा निगरानी
मणिपुर हिंसा की सीबीआई जांच व SIT को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है। इसके मुताबिक CBI टीम के सभी अफसर मणिपुर के बाहर के होंगे। एक रिटायर्ड IPS अधिकारी सीबीआई जांच की निगरानी करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह जिम्मेदारी महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी और डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर रहे दत्तात्रेय पदसालगिकर को दी है।
42 SIT बनेंगे
CJI ने दत्तात्रेय पदसालगिकर को बेहतरीन अफसर बताया और कहा कि वह NIA में रहने के साथ-साथ नागालैंड भी जा चुके हैं। साथ ही CJI ने कमेटी में शामिल पूर्व महिला जजों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश सॉलिसिटर जनरल को दिया। CJI ने सुनवाई के दौरान कहा कि कुल 42 SIT का गठन किया जाएगा।
यह SIT उन मसलों को देखेंगी, जिन्हें CBI को ट्रांसफर नहीं किया गया है। इन SIT की निगरानी मणिपुर के बाहर के DIG रैंक के अधिकारी करेंगे। हर अफसर छह SI की निगरानी करेगा कि जांच सही ढंग से चल रही है या नहीं।
समिति का दायरा तय करने की हुई थी बात
CJI ने पिछली सुनवाई में कहा था कि हम इस कमेटी का दायरा तय करेंगे, जो जमीन पर जाकर राहत और लोगों के पुनर्वास कार्य के बारे में पता करेगी। हम इस तथ्य के बारे में स्पष्ट हैं कि 6500 FIR की जांच सीबीआई को सौंपना असंभव है। इसी लिए 42 SIT इसकी जांच करेगी।
Compiled: up18 News