बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने NDA गठबंधन और विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA पर निशाना साधा.
मायावती ने कहा कि एनडीए और विपक्षी दलों का गठबंधन आज सत्ता में आने के लिए अपने-अपने दावे ठोक रहा है.
बसपा प्रमुख बोलीं, ”कांग्रेस अपनी जैसी जातिवादी सोच रखने वाली पार्टियों के साथ सत्ता में आने का सपना देख रही है जबकि सत्ताधारी बीजेपी भी दोबारा केंद्र की सत्ता में आने के लिए एनडीए गठबंधन को मजबूत बनाने में लगी है…इनकी कथनी और करनी में कांग्रेस पार्टी की ही तरह कोई ख़ास अंतर नहीं है.”
मायावती ने और क्या कुछ कहा?
जनता को किए इनके वादे सत्ता में रहते हुए खोखले ही साबित हुए हैं.
बीजेपी और कांग्रेस के गठबंधन की अब तक की रही सरकार की कार्यशैली, सोच, नियत, यही बताती है कि इनकी नीति दलितों, मुस्लिमों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव वाली ही रही है. ज़्यादातर मामलों में इन्होंने खानापूर्ति ही की है.
ज़मीनी हकीकत रही है कि इन्होंने कोई ठोस काम नहीं किया है जब ये सत्ता से बाहर हो जाते हैं तो वोट के ख़ातिर वंचितों के हितों के लिए लंबी चौड़ी बात करते हैं.
जैसे कांग्रेस का गरीबी हटाओ और बीजेपी का गरीबों के खाते में 20 लाख रुपये पहुंचाने का वादा खोखला ही साबित हुआ. इसी वजह से बसपा ने सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी गठबंधन से दूरी बनाकर रखी है.
ऐसे में कमज़ोर वर्गों के लोगों को आपसी भाईचारे के आधार पर अपनी हितैषी पार्टी बसपा को ही मज़बूती देनी है. जिसके आधार पर इनकी मज़बूत नहीं मजबूर सरकार ही बनेगी.
हमारी कोशिश यही होनी चाहिए ताकि बीएसपी के सत्ता में आ पाने की स्थिति में ये लोग दबे कुचले यानी कमज़ोर लोगों का शोषण ना कर सकें.
ऐसी स्थिति में बसपा को सत्ता में आसीन होने का मौक़ा मिल सकता है. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए लोकसभा चुनाव और उससे पहले राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ चुनाव में अकेले चुनाव लड़कर बेहतर रिजल्ट लाना होगा.
पंजाब, हरियाणा में क्षेत्रीय पार्टियों के साथ चुनाव लड़ सकते हैं, बशर्ते एनडीए या विपक्षी गठबंधन के साथ गठजोड़ ना हो.
सत्ता और विपक्ष के गठबंधन के हथकंडों से बसपा नेताओं को दूर रहना होगा.
Compiled: up18 News
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