बॉलीवुड-साउथ भाषा विवाद: आयुष्मान खुराना बोले, एक भाषा से हमारा देश चल ही नहीं सकता

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बॉलीवुड एक्टर आयुष्मान खुराना इन दिनों अपनी फिल्म ‘अनेक’ (Anek) की वजह से चर्चा में हैं। उनकी ये मूवी 27 मई को रिलीज हो चुकी है। इसको अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है। अनुभव सिन्हा के साथ यह आयुष्मान खुराना की दूसरी फिल्म है। इसके पहले वह ‘आर्टिकल 15’ (Airtcle 15) में काम कर चुके हैं। उसने भी दर्शकों की और क्रिटिक्स की खूब वाहवाही बटोरी थी। वैसे देखा जाए तो नेशनल अवॉर्ड जीत चुके आयुष्मान की सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा करती हैं। साथ ही उनकी सभी फिल्मों में कोई-न-कोई मैसेज छिपा होता है। इस ‘अनेक’ में भी वह भारत को लेकर शानदार मैसेज देते हुए दिखाई दे रहे हैं। वह बता रहे हैं कि जब ‘जन गण मन’ पर सभी एक साथ खड़े होकर तिरंगे को सम्मान देत सकते हैं तो साउथ, नॉर्थ, ईस्ट और वेस्ट कहकर देश को क्यों बांटा गया है, क्यों उन्हें एक ही देश का हिस्सा नहीं माना जाता?

उन्होंने बॉलीवुड और साउथ में हो रहे भाषा विवाद, हिंदी फिल्मों को पिछले दिनों मिली असफलता, नॉर्थ ईस्ट एक्ट्रेस के साथ काम करने के अनुभवों को साझा किया है। तो चलिए आपको सुनाते हैं, उनकी इन मुद्दों पर क्या राय है।

इस वक्त बॉलीवुड और साउथ में भाषा को लेकर विवाद चल रहा है और आपकी नई फिल्म ‘अनेक’ भी इसी विषय पर आधारित है, तो क्या यह महज संयोग है कि आपकी फिल्म ऐसे समय पर आ रही है?

-ये चीजें हमेशा रही हैं। ऑफकोर्स ये चीजें घूम फिर कर आती रहती हैं। मेरा मानना है कि किसी एक भाषा को हम ऊपर नहीं रख सकते, क्योंकि हर एक हिंदुस्तानी अहम है। हर एक की भाषा जरूरी है, क्योंकि वह उसके करीब है। एक भाषा से हमारा देश चल ही नहीं सकता, क्योंकि हम खुद बात करते हुए तीन-चार भाषाओं को मिक्स कर देते हैं। जब हम हिंदी में फिल्म करते हैं, तब भी हम हिंदी, उर्दू, ब्रज भाषा, खड़ी बोली साथ में इस्तेमाल करते हैं। मुंबई में तो हम साथ में मराठी और गुजराती को भी शामिल कर लेते हैं। जब हम खुद एक समय में तीन-चार भाषाएं बोल रहे हैं, तो एक भाषा को कैसे महत्व दे सकते हैं। ये सिर्फ लिखित फॉर्म में हैं जो भाषाएं लिखी जाती हैं, वरना बोलते वक्त तो कोई एक भाषा प्योर फॉर्म में बोली ही नहीं जा सकती।

आपकी फिल्म के ट्रेलर में एक डायलॉग है, ‘क्या अब हिंदी डिसाइड करेगी कि आप नॉर्थ इंडियन हैं या साउथ इंडियन’ हिंदी के राष्ट्रभाषा होने को लेकर भी दो मत चल रहे हैं। आपका क्या कहना है?

-सबसे पहले तो मैं ये कहना चाहूंगा कि ये बात वो शख्स कह रहा है, जो कॉन्वेंट से पढ़ा है लेकिन हिंदी में टॉप किया करता था और जिसे हिंदी से बेहद प्यार है। मुझे लगता है हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया जा सकता। ये नाइंसाफी होगी उन लोगों के लिए जो हिंदी नहीं बोल पाते। जिन्होंने बचपन से आज तक जो भाषा बोली नहीं, उनसे आप उम्मीद लगा कर बैठे हैं कि वे नई भाषा सीख लें। स्वाभाविक रूप से जो हिंदी बोल सकते हैं, उनके लिए तो फायदा होगा। वो अपने आप ही ऊपर हो जाएंगे क्योंकि ये आधिकारिक हो जाएगा। मुझे लगता है कि अगर नई भाषा सीखनी ही है तो अंग्रेजी सीख लो। इससे हमें फायदा होगा कि हम विदेश जाएं, तो अच्छा कर पाएं। चाइना में भी हमारी यही खासियत काम आती है कि हम अंग्रेजी अच्छी बोलते हैं जिससे टेक्निकली वहां बेहतरीन काम कर पाते हैं। अगर हमें नई भाषा सीखनी हो तो हम अंग्रेजी सीखें, इससे हमें विश्व स्तर पर फायदा होगा।

पिछले दिनों बॉक्स ऑफिस पर हिंदी फिल्मों की तुलना में साउथ की फिल्मों ने अच्छा-खासा बिजनेस किया तो ये बहस भी चल पड़ी कि साउथ हमें ओवर पावर कर लेगा या फिर बॉलीवुड को और ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी?

-ये भी कमाल की बात है कि जो लोग भाषा को लेकर डिबेट कर रहे हैं, तो आप ये देखिए कि साउथ की भाषाओं को नॉर्थ ने अपना लिया है। फिर आपकी डिबेट ही खारिज हो जाती है। फिल्म कोई भी हो, अच्छी हो तो चलेगी जरूर। अब कौन-सी फिल्म चलेगी या नहीं चलेगी, ये तो दर्शकों पर निर्भर करता है। हो सकता है कि साउथ की जो फिल्में बड़े स्केल पर बनती हैं, उसका लार्जर देन लाइफ फील दर्शकों को भाता हो। उनके लिए बड़े पर्दे पर उस विजुअल ट्रीट को देखना लुभावना होता है, तो वे हर दर्शक वर्ग से कनेक्ट कर पा रहे हैं। हमारी फिल्में भी अच्छी बन रही हैं। सूर्यवंशी ने अच्छा किया था, गंगूबाई का रिस्पॉन्स जबरदस्त रहा। आने वाले समय में हम और अच्छा करेंगे।

आप अपनी फिल्म के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को लेकर प्रेशर फील कर रहे हैं क्योंकि बच्चन पांडे, हीरोपंती, जयेशभाई, जर्सी, धाकड़ जैसी तमाम बड़े सितारों वाली फिल्म बॉक्स ऑफिस पर टिक नहीं पाई?

-बॉलीवुड का हिस्सा होने के नाते हमें री थिंक तो करना पड़ेगा कि हम किस तरह की फिल्में बनाएं। प्रेशर तो रहेगा, हम सभी इसमें साथ हैं। यही उम्मीद रहती है कि आने वाली फिल्में चलें और बॉक्स ऑफिस का रुख बदलें। हर तरह की फिल्में चलें। यही नहीं कि जिन्हें लोग फेस्टिवल की फिल्में कहते हैं, उनकी वाहवाही हो। हर बजट की फिल्म चले।

आप यों तो बॉलीवुड में हर तरह की फिल्में कर चुके हैं, मगर अनेक में एक्शन प्रधान रोल करने में आपको समय लग गया?

-हमारी फिल्म एक्शन से ज्यादा पॉलिटिकल थ्रिलर है। जहां तक एक्शन की बात है, तो शायद मुझे अब तक वैसी स्क्रिप्ट ही नहीं मिली। मैं चाहता था कि मुझसे एक्शन करवाने के लिए अनुभव सिन्हा जैसा कोई डायरेक्टर अप्रोच करे। मेरे लिए एक्शन फिल्म में भी कुछ अलग होना चाहिए। फिल्म कुछ कहे, उसकी अपनी जुबान हो। जैसे अनुभव की इस फिल्म में आप दिमाग घर पर छोड़ कर नहीं आ सकते। आप खुद से सवाल करने पर मजबूर जरूर हो जाएंगे।

फिल्म में आपके साथ नॉर्थ ईस्ट की अदाकारा एंड्रिया है, तो उनके साथ कैसा अनुभव रहा?

-एंड्रिया मात्र 21 साल की है। 15 साल की उम्र में उन्होंने मॉडलिंग शुरू की थी और 18 साल की उम्र में अनुभव सिन्हा ने उन्हें अप्रोच किया था फिल्म के लिए। उनके लिए तो सब कुछ नया है। मगर अच्छी बात ये है कि वे बहुत मच्योर हैं। वे अपनी एक सोच रखती हैं। वे नॉर्थ ईस्ट के लिए एक अच्छा रीप्रेसेंटेशन हैं। वे नागालैंड से हैं, मगर 21 साल की उम्र में भी उनका दिमाग काफी परिपक्व है। अच्छी बात ये हैं कि वे फिल्म में सिर्फ किरदार नहीं हैं बल्कि लीडिंग लेडी हैं। अब पहली बार उन्हें एक हीरो जितने महत्वपूर्ण रोल में देखा जाएगा। अब तक नॉर्थ ईस्ट के कलाकारों को हमने चरित्र भूमिकाओं में देखा है।

नॉर्थ ईस्ट के लोगों को ‘चिंकी’ कहा जाता है, वैसे ही हम उत्तरांचल के लोगों को ‘गोरखा’ कहकर बुलाया जाता है, तो क्या कभी आपको इस तरह की जातिगत टिप्पणी से गुजरना पड़ा है?

-देखिए, सभी को स्टीरियो टाइप कर दिया जाता है। जैसे लोग सोचते हैं कि पंजाबी है, तो बहुत खुले दिल का होगा। बनिया है तो कंजूस होगा। मगर मैंने तो उल्टा होते देखा है। बनिया खुले दिल के होते हैं और पंजाबी कंजूस। हमें उन स्टीरियो टाइप को तोड़ना चाहिए और यह फिल्म हमने इसीलिए बनाई है।

हाल ही में आपके करियर को दस साल पूरे हुए, तो ऐसी कोई ख्वाहिश या ख्वाब जो आपको लगता है कि पूरा होना बाकी है? कोई ड्रीम रोल है?

-मुझे लगता है कि मुझे म्यूजिक पर और ध्यान देना चाहिए। साल में तीन फिल्में कर रहा हूं, तो समय नहीं मिल पा रहा। मुझे शायरी और लिखनी चाहिए। जहां तक ड्रीम रोल की बात है, तो मैं कभी सोच भी नहीं पाता और राइटर मेरे लिए वो रोल ले आता है। मैं हमेशा सोचता था कि शाहरुख सर ने कभी हां कभी ना में जो रोल किया था, वो मुझे करने मिलता तो मजा आ जाता। वैसा रोल मुझे कभी मिला नहीं। मगर हां, अलग-अलग किस्म के रोल मिल गए, जो अलग किस्म के थे।

आपकी पत्नी ताहिरा और आपके बारे में काफी लिखा-पढ़ा गया है। वे आपको कैसे कॉम्प्लिमेंट करती हैं?

-मैंने कभी इस बारे में सोचा नहीं क्योंकि बचपन से वो साथ में है, तो हमारा कॉम्प्लिमेंट चलता आ रहा है। हम एक-दूसरे को लगातार कॉम्प्लिमेंट करते आ रहे हैं।

-एजेंसियां