बीरभूम हिंसा: CCTV कैमरे लगाए गए, गांव पहुंची CBI की टीम

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हाईकोर्ट के निर्देश पर पश्चिम बंगाल के गांव बोगटुई में कई जगहों CCTV कैमरे लगाए गए हैं. साथ ही डीएसपी स्तर के एक अधिकारी के नेतृत्व में यहां पुलिसवाले गांव की सुरक्षा में तैनात रहेंगे. बीरभूम जिले के बोगटुई में इस सप्ताह हुई हिंसा में आठ लोगों को ज़िंदा जला दिया गया था.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को बोगटुई पहुंच कर आगजनी में मारे गए लोगों के परिजनों के जख़्मों पर मुआवजे और सरकारी नौकरी के जरिए मरहम लगाने की कोशिश की थी.

लेकिन ममता के भरोसे के बावजूद मिहिलाल, साजिना और उनकी ही तरह दूसरे लोगों के जख़्म अभी हरे हैं. उनका कहना है कि दोषियों को कड़ी सजा मिले बिना उनको चैन नहीं मिलेगा.

गांववालों की ज़्यादातर मांगें ममता ने मान ली है. रही-सही कसर इस घटना की सीबीआई जांच का आदेश देकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूरा कर दिया है.

गांव पहुंची CBI की टीम

सीबीआई की टीम शनिवार (आज) इस गांव में पहुंची. अदालत ने सीबीआई को इस घटना की जांच शीघ्र करने और सात अप्रैल तक प्राथमिक रिपोर्ट जमा करने को कहा है.

इस बीच शुक्रवार को केंद्रीय फॉरेंसिक की एक टीम ने मौके पर पहुंच कर जले हुए मकानों के भीतर और आसपास से नमूने एकत्र किए. गांव के कुछ लोगों का आरोप था कि महिलाओं और बच्चों की हत्या कर उसके बाद घर में बंद कर आग लगा दी गई. नमूनों की जांच से यह बात पता चलेगी कि पहले हत्या की गई या फिर उन सबको ज़िदा जला दिया गया.

आर्थिक मदद, सरकारी नौकरी देने का एलान

ममता ने मौक़े पर पहुंचकर पांच-पांच लाख की आर्थिक मदद के अलावा जले हुए मकानों की मरम्मत के लिए दो-दो लाख का चेक सौंपा. इसके अलावा उन्होंने दस परिवारों के एक-एक व्यक्ति को ग्रुप डी की सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया.

ममता ने कहा कि एक साल तक अस्थायी नौकरी होगी जिस दौरान हर महीने दस हजार रुपए मिलेंगे. उसके बाद इसे स्थायी कर दिया जाएगा. उन्होंने फौरन इस मामले में तृणमूल कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्ष अनवारुल हुसैन को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया और कुछ देर बाद ही तारापीठ से उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

ममता के निर्देश पर ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में दो पुलिस अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया. ऐसे में ममता ने पीड़ितों की ज्यादातर मांगें पूरी कर दी थी.

दोषियों को मिले कड़ी से कड़ी सजा

अब बस एक ही मांग बची है वह है दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की. ममता ने इसका भी भरोसा दिया दिया.

इस घटना में अपनी सात साल की बेटी को खोने वाले मिहिलाल शेख कहते हैं, “दीदी ने हमारे जख्मों पर मरहम जरूर लगाया है. लेकिन हमें चैन तब मिलेगा जब दोषियों को शीघ्र कड़ी सजा मिलेगी. मुख्यमंत्री निश्चित तौर पर हमें न्याय दिलाएंगी.”

अपने परिजनों को इस हादसे में खोने वाली साजिना शेख कहती हैं, “जाने वाले तो लौट कर नहीं आएंगे. लेकिन कम से कम दोषियों को कड़ी सजा मिली तो उनकी आत्मा को सुकून मिलेगा.”

हालांकि, रात बीतते ही तस्वीर कुछ बदल गई और इस मामले का संज्ञान लेने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की जांच को रोक कर इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का कहना था कि उसने न्याय प्रणाली पर लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए ही यह फैसला किया है.

ममता के गांव से लौटने के बाद शाम को पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय ने भी पुलिस अधीक्षक नागेन्द्र नाथ त्रिपाठी और दूसरे अधिकारियों के साथ मौके का दौरा किया.

हाईकोर्ट के निर्देश पर गांव में कई जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. अब डीएसपी स्तर के एक अधिकारी के नेतृत्व में 54 पुलिसवाले दिन-रात गांव की सुरक्षा में तैनात रहेंगे.

पुलिस ने गांव छोड़ कर दूसरी जगह शरण लेने वालो से घर लौटने की अपील की है. ममता ने भी अपने दौरे के समय यह अपील की थी.

गांव वालों के आरोप के मुताबिक़ इस मामले की मुख्य अभियुक्त अनवारुल हुसैन को शुक्रवार को स्थानीय अदालत में पेश करने पर उसे 14 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.

अनवारुल और उसके वकील ने दावा किया कि उसने आत्मसमर्पण किया है, पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है.

-एजेंसियां