लंदन. G20 समिट में आए सभी देशों ने कार्बन उत्सर्जन को लेकर शीघ्र व गंभीर प्रयास की हामी भरी और इसके लिए फंडिंग में कमी ना आने देने का संकल्प लिया. आज इसी कड़ी में टाटा स्टील और ब्रिटेन सरकार के बीच एक बड़ी डील हुई है.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार टाटा ग्रुप को डी-कार्बनाइजेशन के लिए 50 करोड पाउंड (करीब 5145 करोड़ रुपये) देने के लिए तैयार हो गई है.
गौरतलब है कि ब्रिटेन सरकार प्रदूषण के स्तर को कम करना चाहती है, जिसके लिए उसने टाटा स्टील से ब्रिटेन के सबसे बड़े स्टील प्लांट साइट में से एक वेल्श साइट के डी-कार्बनाइज के लिए कहा था, लेकिन टाटा ने सरकार की मदद के बिना कुछ भी करने से हाथ खड़े कर दिए थे.
अब टाटा स्टील और ब्रिटेन सरकार स्टील के इस प्लांट को कम कार्बन उत्सर्जन वाले प्लांट में बदलेंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब 13,000 करोड़ रुपये बैठेगी. इसमें टाटा स्टील की ओर से करीब 7700 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा. अभी इस प्लांट में कोयले से जलने वाली भट्टी का इस्तेमाल होता है, जो बहुत प्रदूषण करता है. अब टाटा स्टील इनकी जगह इलेक्ट्रिक भट्टी का उपयोग करेगी.
3000 नौकरियों पर आएगी आंच
टाटा स्टील यूके और ब्रिटेन सरकार के इस कदम से प्रदूषण के स्तर में तो कमी आएगी, लेकिन इसका बड़ा असर वहां के रोजगार पर पड़ेगा. टाटा स्टील के ब्रिटेन स्थित फैक्टरी में करीब 8,000 लोग काम करते हैं. फैक्टरी का इलेक्ट्रिफिकेशन होने से करीब 3,000 लोगों का रोजगार कम होगा, क्योंकि इलेक्ट्रिक भट्टी में कम लेबर की जरूरत होती है.
कार्बन उत्सर्जन क्या है (What is Carbon Emission)
कार्बन उत्सर्जन व्यापार नीति का एक प्रकार है, जो कंपनियों को कार्बन डाइऑक्साइड आउटपुट के सरकार द्वारा प्रदान किए गए आवंटन को खरीदने या बेचने की अनुमति देता है. किसी एक संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा किये जाने कार्य से कार्बन उत्सर्जन होता है.