सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित 15 मुकदमों को समाहित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंध न्यासी समिति को हाई कोर्ट के समक्ष आदेश वापसी की याचिका दायर करने की स्वतंत्रता प्रदान की। समिति ने हाई कोर्ट के 11 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी।
पीठ ने आदेश दिया कि ‘याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को वापस लेने का अनुरोध किया है। हम मौजूदा विशेष अनुमति याचिका का निस्तारण करते हैं और याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय में फिर से याचिका दायर करने की छूट देते हैं।’
समिति के वकील ने कहा कि 11 जनवरी के आदेश को वापस लेने का आवेदन उच्च न्यायालय में लंबित है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि आवेदन को एक विशिष्ट तारीख पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया जाए। हालांकि पीठ ने ऐसा कोई आदेश जारी करने से इंकार कर दिया।
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन कहते हैं, “सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद को अपना मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पेश करने के लिए कहा था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित 15 मामलों को एक साथ सुनवाई के लिए समेकित किया था किंतु आज शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आई…सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के चकबंदी आदेश के खिलाफ रिकॉल अर्जी दायर कर चुके हैं, इसलिए पहले रिकॉल अर्जी पर फैसला हो और फिर आप सुप्रीम का रुख कर सकते हैं।
13.37 एकड़ जमीन पर है विवाद
हाई कोर्ट ने 11 जनवरी को ‘न्याय के हित में’ निर्देश दिया था कि हिंदू वादी द्वारा दायर एक आवेदन पर 15 मुकदमों को समाहित कर दिया जाए। हिंदू पक्ष ने उच्च न्यायालय में अपने आवेदन में कहा था कि दीवानी न्यायाधीश (वरिष्ठ संभाग), मथुरा के समक्ष 25 सितंबर, 2020 को दायर मूल मुकदमे और 13.37 एकड़ जमीन से संबंधित अन्य मुकदमों को समाहित कर दिया जाए।
-एजेंसी
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