आगरा: वार्ड 39 नामनेर कुशवाहा कुंज क्षेत्र पिछले 7 वर्षों से पेयजल की समस्या से जूझ रहा है। यहां पर कई कई दिनों तक पानी की सप्लाई नहीं होती जिससे यहां के वाशिंदे काफी परेशान हैं। क्षेत्रीय पार्षद लक्ष्मी शर्मा इस समस्या के समाधान के लिए नगर निगम से लेकर छावनी परिषद कार्यालय तक चक्कर लगा रही हैं लेकिन इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। नगर निगम और छावनी विभाग की कार्यप्रणाली के बीच क्षेत्र की जनता पेयजल की समस्या से जूझ रही है।
छावनी परिषद की NOC बनी समस्या
कुशवाह कुंज क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में लोग रहते हैं। यह क्षेत्र नामनेर की तीली पर बसा हुआ है जो अधिक ऊंचाई पर है। यहां पर पेयजल सप्लाई कंप्रेसर पहुंच नहीं पाता जिसके कारण यहां के वाशिंदे पेयजल सप्लाई का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इस समस्या समाधान के लिए क्षेत्रीय पार्षद लक्ष्मी शर्मा ने नौलक्खा जोनल पंपिंग सेट से नामनेर कुशवाह को पेयजल पाइप लाइन बिछाई जाने का प्रस्ताव दिया था जिस पर नगर निगम ने तो मुहर लगा दी लेकिन इसके लिए छावनी परिषद की अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जरूरी है। छावनी परिषद से यह अनापत्ति प्रमाण पत्र अभी तक नहीं मिल पाया है। छावनी परिषद के अनापत्ति प्रमाण पत्र न मिलने से क्षेत्र की पेयजल समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
मंगलवार को क्षेत्रीय पार्षद लक्ष्मी शर्मा ने जलकल विभाग के एक पत्र के साथ छावनी परिषद के अधिशासी अधिकारी सत्येंद्र कुमार से मुलाकात कर उन्हें सारी समस्या से अवगत कराया और ज्ञापन सौंपकर इस समस्या समाधान के लिए उचित कदम उठाने की मांग की। इस दौरान परिषद के अधिशासी अधिकारी ने उन्हें छावनी परिषद के स्टेशन मास्टर से अनुमति लेने की बात कही जो कि मुश्किल से मिलती है।
नगर निगम के टेंडर में भी खामियां
क्षेत्रीय पार्षद लक्ष्मी शर्मा ने छावनी परिषद के अधिशासी अधिकारी को बताया कि पेयजल पाइप लाइन के लिए नगर निगम की ओर से टेंडर हो चुका है। अनापत्ति प्रमाण पत्र मिले तो काम हो जाए लेकिन इस टेंडर के बारे में जब उन्होंने पूछताछ की तो अधिशासी अधिकारी ने खामियां निकाल दी। उन्होंने कहा कि जो टेंडर हुआ है वह पीवीसी पाइप लाइन का है और छावनी परिषद में पीवीसी पाइप लाइन से कार्य नहीं होता बल्कि सीमेंट पाइप लाइन डाली जाती हैं। इसीलिए इस टेंडर पर तो वैसे भी अनुमति नहीं मिलेगी।
क्षेत्रीय पार्षद लक्ष्मी शर्मा का कहना है कि कुशवाहा कुंज की पेयजल समस्या समाधान के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा। इस समस्या का समाधान कराना उनकी प्राथमिकता में है और इसके लिए जितना भी संघर्ष और लड़ाई लड़नी हो वह लड़ेंगी।
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