प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर नामीबिया से देश में 8 चीतों को लाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। सबसे पहले मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में इन चीतों को छोड़ा जाएगा। सरकार ने आस-पास के लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और चीतों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए “चीता मित्र” पहल शुरू की है। इस पहल में कुछ लोगों को शामिल किया गया है, जो चीतों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाएंगे।
इस पहल में 90 गांवों के कुल 457 लोगों को चीता मित्र बनाया गया है। इनमें सबसे बड़ा नाम रमेश सिकरवार का सामने आ रहा है, जो पहले एक डकैत थे और करीब 70 हत्याओं के आरोपी थे। 71 वर्षीय रमेश सिकरवार ने अक्टूबर 1984 में सरेंडर कर दिया था, लेकिन इलाके में उनकी स्थिति आज भी काफी प्रभावी बनी हुई है, इसलिए उन्हें चीता मित्र बनाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रमेश सिकरवार ने कहा, “मैं अपनी जान दे दूंगा लेकिन चीतों को कुछ नहीं होने दूंगा। मैं आभारी हूं कि मुझे चीता मित्र बनाया गया है। मैं पहले से ही जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए काम कर रहा हूं और इस जिम्मेदारी को भी निभाऊंगा।”
प्रधानमंत्री का 17 सितंबर को जन्मदिन है इस मौके पर नामीबिया से यह चीते भारत लाए जा रहे हैं।
उन्होंने चीतों को लेकर चिंता जताते हुए नेशनल पार्क के आस-पास रहने वाले पारधी परिवारों के हथियार जब्त करने की सरकार से अपील की है। उन्होंने बताया कि इन परिवारों ने वन विभाग के एक डिप्टी रेंजर को भी मार डाला था, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सिकरवार ने लोगों को चीता के लिए जागरुक करना शुरू कर दिया है कि वे इंसानों को नुकसान पहुंचाने वाले जानवर नहीं हैं। चीतों से ना तो डरें और ना ही उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करें। रमेश सिकरवार 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर उनसे मिलने भी जाने वाले हैं।
नामीबिया से लाए जा रहे चीतों में 5 मादा और 3 नर शामिल
नामीबिया से कुल 8 चीते लाए जा रहे हैं, जिनमें से 5 मादा चीता और 3 नर चीता हैं। सरकार ने बाहर से चीतों को लाने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि यहां बड़े मांसाहारी जानवर पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं। इस कारण जंगलों का कटना और पर्यावरण संबंधी समस्याएं देखने को मिली हैं। 1952 में भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
-एजेंसी
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