बांग्लादेश और भारत डॉलर के बदले रुपए में करेंगे द्विपक्षीय व्यापार

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यही वजह है कि रुपए में कारोबार की प्रक्रिया तुरंत शुरू नहीं होगी. बांग्लादेश बैंक के कार्यकारी निदेशक और प्रवक्ता मेजबाऊल हक़ ने संकेत दिया है कि इसमें कम से कम छह महीने का समय लग सकता है.

उन्होंने कहा- “हमने सैद्धांतिक रूप से सहमति दे दी है. इसकी तमाम प्रक्रिया चल रही है. अगर बैंकों को लगता है कि सब कुछ ठीक ठाक है तो वह इस कार्यक्रम को शुरू करेंगे. इसके शुरू होने के बाद ही सुविधा और दिक्क़त समझ में आएगी.”

व्यापारियों और नियमित यात्रियों का दावा है कि टका और रुपए में व्यापार होने की स्थिति में दोनों देशों को लाभ होगा.

किस तरीक़े से होगा लेन-देन?

अपनी मुद्रा में लेन-देन की यह पहल एक दशक पहले ही की गई थी लेकिन उस समय विभिन्न जोखिमों को ध्यान में रखते हुए प्रस्ताव पर अमल नहीं हुआ.

बीते साल दिसंबर में दोनों देशों के मंत्री स्तर की बैठक में रुपए में वाणिज्यिक लेन-देन करने का प्रस्ताव उठा था. मार्च में बांग्लादेश की राष्ट्रीय आर्थिक परिषद की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी.

इस मुद्दे पर बातचीत के लिए बीते 11 अप्रैल को भारत का एक प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश के दौरे पर आया था. उसके सदस्यों ने बांग्लादेश के बैंकरों के साथ बैठक में टका और रुपए में वाणिज्यिक लेन देन के तरीक़ों पर विचार-विमर्श किया था.

बांग्लादेश बैंक के मुताबिक़ पायलट प्रोग्राम के तौर पर प्राथमिक तौर पर चार बैंकों के ज़रिए यह लेन-देन चालू होगा. इनमें बांग्लादेश का सोनाली बैंक और ईस्टर्न बैंक और भारत का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और आईसीआईसीआई शामिल हैं.

भारत के दोनों बैंक इसके लिए बांग्लादेश के दो बैंकों में खाता खोलेंगे. इसी तरह बांग्लादेश के दोनों बैंक इन भारतीय बैंकों में खाता खोलेंगे. नतीजतन लेन-देन के लिए स्थानीय मुद्रा को डॉलर में नहीं बदलना होगा. इसकी विनिमय दर सीधे टका से रुपया या रुपए से टका होगी.

इसका मतलब यह है कि बांग्लादेश से भारत आने वाले या भारत से किसी वस्तु का आयात करने वाले उन बैंकों की ओर से तय दर के मुताबिक़ टका (बांग्लादेशी मुद्रा) जमा कर सकेंगे. इसी तरह कोई भी भारतीय बांग्लादेश के दौरे या बांग्लादेश से आयात की स्थिति में भारतीय रुपए में क़ीमत जमा कर सकेगा.

व्यापारियों को उम्मीद है कि भारत के साथ आपसी व्यापार के मामले में इस तरीक़े के लागू होने पर काफ़ी कम समय में लेनदेन करना संभव होगा.

भारत बांग्लादेश चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अब्दुल मतलूब अहमद बताते हैं, “व्यापारी अपनी इच्छा के मुताबिक़ टका या रुपया किसी भी मुद्रा में लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) खोल सकते हैं. भारत के मुख्य निर्यातकर्ता देश होने के कारण रुपए में एलसी खोलने पर विनिमय दर में भिन्नता कम होती है. डॉलर के बदले भारतीय रुपए में लेनदेन करने पर निर्यात खर्च कुछ हद तक बचत होगी.”

व्यापारियों का दावा-लाभ होगा

बांग्लादेश के नागरिक भारत में चिकित्सा, पर्यटन और ख़रीदारी पर काफ़ी खर्च करते हैं. आंकड़े बताते हैं कि बांग्लादेश के कुल आयात का 14 फ़ीसदी भारत से होता है.
बांग्लादेश बैंक के आँकड़ों के मुताबिक़ वित्त वर्ष 2021-22 में बांग्लादेश ने भारत को 200 करोड़ डॉलर की वस्तुओं का निर्यात किया था. इसके मुक़ाबले इसी दौरान बारत से एक हज़ार 619 करोड़ डॉलर की वस्तुओं का आयात किया गया. यानी व्यापार घाटे की मात्रा एक हजार 419 करोड़ रही. व्यापार घाटे और बांग्लादेश के पास पर्याप्त मात्रा में भारतीय रुपया नहीं होने के कारण दोनों देशों के बीच रुपए में अधिकतम 200 करोड़ डॉलर का लेन-देन करना संभव होगा.

यानी बांग्लादेश को निर्यात से जो 200 करोड़ डॉलर की आय हुई है, उसी मात्रा में भारतीय मुद्रा में कारोबार करने पर विचार किया जा रहा है.

बांग्लादेश-भारत चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अब्दुल मतलूब अहमद बताते हैं कि रुपए में लेन के कारण बांग्लादेश को जिस 200 करोड़ अमेरिकी डॉलर की बचत होगी उससे सरकार दूसरे देशों से ज़रूरी वस्तुओं का आयात कर सकेगी.

उनकी राय में इससे दोनों देशों को फ़ायदा होगा. व्यापार को दो सौ डालर तक सीमित कर देने की स्थिति में कोई जोखिम नहीं रहेगा.

बांग्लादेश बैंक के कार्यकारी निदेशक और प्रवक्ता मेजबाऊल हक़ का दावा है कि इस लेनदेन के द्विपक्षीय बातचीत पर आधारित होने के कारण बार-बार मुद्रा विनिमय का खर्च कम होगा. हम विनिमय दरों पर बचत कर सकते हैं.
बांग्लादेश से नियमित रूप से भारत का दौरा करने वाले लोगों की राय में भी यह फ़ायदेमंद है.

अगर कोई व्यक्ति बांग्लादेश से भारत के दौरे पर जाता है तो उसे पासपोर्ट पर डॉलर एंडोर्स करना होता है. उस डॉलर को भारत पहुंचने के बाद रुपए में बदल कर खर्च करना पड़ता है. दो बार मुद्रा निविनय के कारण उनको नुकसान होता है.

फ़िलहाल बांग्लादेश में डॉलर की क़ीमत 106 से 110 टका के बीच घूम रही है. इस लिहाज से 100 डॉलर ख़रीदने के लिए 10 हज़ार छह सौ से 11 हज़ार तक टका खर्च करना पड़ता है. इस सौ डॉलर के बदले 8,200 से 8,330 तक भारतीय रुपया मिलता है.

लेकिन अगर यह लेन-देन सीधे टका और रुपए में होता तो इतनी ही रक़म के एवज में 13 हज़ार से 14,500 तक भारतीय रुपया मिल सकता था. यह अंतर काफ़ी ज्यादा है.

Compiled: up18 News