कला उत्सव ‘उत्‍कर्ष’ में राष्‍ट्रपति ने कहा, मानवता को आइना भी दिखाता है साहित्य

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राष्‍ट्रपति ने जयशंकर प्रसाद और गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर को भी याद किया और उनकी कविताओं का उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा कि मानवता का वास्‍तविक इतिहास विश्‍व के महान साहित्‍यों में ही मिलता है। साहित्‍य  मानवता को आइना भी दिखाता है, इसे बचाता भी है और आगे भी बढ़ाता है। साहित्‍य और कला ने संवेदनशीलता और करुणा को बनाए रखा है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि आज 140 करोड़ देशवासियों का मेरा परिवार है और सभी भाषाएं व बोलियां मेरी अपनी हैं। हमारा सामूहिक प्रयास अपनी संस्कृति, लोकाचार, रीति-रिवाज और प्राकृतिक परिवेश को सुरक्षित रखने का होना चाहिए। हमारे जनजाति समुदाय के भाई-बहन और युवा आधुनिक विकास में भागीदार बनें।

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू आज भोपाल प्रवास पर हैं। वह सुबह साढ़े ग्‍यारह बजे विशेष विमान से यहां पहुंचीं। स्‍टेट हैंगर पर सीएम शिवराज सिंह चौहान व प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा ने उनकी आत्‍मीय अगवानी की।

यहां से राष्‍ट्रपति का काफिला रवींद्र भवन के लिए रवाना हो गया। रवींद्र भवन में उन्‍होंने एशिया के सबसे बड़े साहित्य उत्सव उन्मेष और लोक व जनजातीय अभिव्यक्तियों के कला उत्सव उत्‍कर्ष का शुभारंभ किया। राष्‍ट्रपति इस कार्यक्रम में करीब दो घंटे रहीं। इससे पहले राष्‍ट्रपति इसी साल मार्च में अंतर्राष्‍ट्रीय धर्म-धम्‍म सम्‍मेलन के उद्घाटन के मौके पर भोपाल आई थीं। कार्यक्रम में राष्‍ट्रपति के उद्बोधन के पश्‍चात मंच लोक कलाकारों द्वारा सांस्‍कृतिक प्रस्‍तुतियां देने का सिलसिला शुरू हुआ।

साहित्य, संगीत और कला देते हैं आत्मा और मन को सुख

इससे पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे देश का इतिहास सबसे पुराना है। ये वो धरती है जिसके गांव का बच्चा-बच्चा यह बोलता है कि प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो। रोटी-कपड़ा-मकान ही हमारी जरूर नहीं है। हमें शरीर के सुख के साथ मन और आत्मा का सुख भी चाहिए। यह सुख जो देता है, वो साहित्य, संगीत और कला है। उत्कर्ष-उन्मेष जैसे कार्यक्रम हमारे संगीतज्ञ और कलाकारों को आगे लेकर आते हैं।

एमपी से जुड़े हैं कला, संगीत और साहित्य के कई नाम

सीएम शिवराज ने कहा, मध्य प्रदेश प्राचीन काल से कला और संस्कृति की संगम स्थली रही है। यह साहित्यकारों की कर्मभूमि रहा है। भीमबैठका और खजुराहो इसके साक्षात प्रमाण हैं। राजा भोज और देवी अहिल्या ने धर्म और संस्कृति के लिए कार्य किया है। लता मंगेशकर, किशोर कुमार और उत्साद अलाउद्दीन खान को इसी धतरी ने जन्म दिया। इस आयोजन पर आए सभी मेहमानों का मैं दिल से धन्यवाद देता हूं।

Compiled: up18 News