गोरखपुर । गोरखपुर लोकसभा सीट पर सातवें चरण में चुनाव होना है। इस सीट पर चल रही नामांकन प्रक्रिया के बीच राप्ती तट पर स्थित श्मशान घाट के किनारे मरण शैया पर बैठा एक शख्स चर्चा का विषय बना हुआ है। लोकसभा सीट से इस बार एक अनोखा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने जा रहा है जो लोगों के बीच अपने कार्यशैली से चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि नामांकन से पहले ही उसने अपना चुनाव कार्यालय राप्ती नदी तट स्थित, श्मशान घाट पर खोल कर मरण शैय्या पर ही अपना आसन बना लिया है।
राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा के नाम से मशहूर यह शख्स पिछले दो दशक से गोरखपुर से लेकर दिल्ली सहित कई अन्य क्षेत्रों में भी अपनी पहचान, संघर्षों और आन्दोलन से बनाता रहा है। एमबीए इंटरनेशनल मार्केटिंग की डिग्री लेने के बाद कोई जॉब न कर, सामाजिक परिवर्तन के उद्देश्य से राजनीतिक मंच का सहारा ले आंदोलन करने वाले यह अर्थी बाबा अब तक विधानसभा लोकसभा सहित कई चुनावों में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन सफलता अब तक किसी चुनाव में नहीं मिली।
गोरखपुर लोकसभा सीट (Gorakhpur Lok Sabha Seat) पर सातवें चरण में चुनाव होना है। इस सीट पर चल रही नामांकन प्रक्रिया के बीच राप्ती तट पर स्थित श्मशान घाट के किनारे मरण शैया पर बैठा एक शख्स चर्चा का विषय बना हुआ है। pic.twitter.com/llX1sqiGrx
— santosh singh (@SantoshGaharwar) May 13, 2024
बता दें कि राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा मूलतः खजनी के निवासी है। उनका कहना है कि श्मशान घाट ही उनका कार्यालय होगा। यहां आने वाले लोगों से एक-एक रुपए सहयोग लेकर वह अपने चुनाव का खर्च निकालेंगे। आत्माएं ही उनका एजेंट होंगी, क्योंकि इस देश को आत्माएं ही चला रही हैं, जब मूर्ति स्थापना के दौरान उनमें प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है तो फिर चुनाव के दौरान आत्मा एजेंट क्यों नहीं बन सकती? गोरखपुर की धरती पर बाहरी और नाचने गाने वाले लोग चुनाव लड़कर जीते, यह गोरखपुर के भविष्य के लिए ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि यहां उस व्यक्ति को चुनाव लड़ना और जीतना चाहिए जो यहां की समस्याओं और लोगों के बारे में जानता हो। मुझे भले ही गोरखपुर की जनता ने अभी तक जीत नहीं दिलाई है, लेकिन श्मशान घाट की इस धरा से मैंने कई आंदोलनों की नींव रखी है, जिसका नतीजा है कि गोरखपुर में एम्स बना, फर्टिलाइजर का खाद कारखाना खुला, राप्ती नदी तट पर बढ़िया घाट बना, अन्य कई काम इन्हीं आंदोलन की देन है। जिसे योगी आदित्यनाथ भी बतौर सांसद देखते रहे हैं। जब वह मुख्यमंत्री बन गए तो उनसे मिलकर मैने जो प्रस्ताव रखा उसको उन्होंने माना फलस्वरूप तमाम कार्य दिखाई भी दे रहे हैं।
राजन यादव कहते हैं कि मौजूदा समय में लोकतंत्र की हत्या और उसकी अर्थी निकल रही है। ऐसे में अगर वह श्मशान घाट पर लोकसभा का कार्यालय खोलते हैं और अर्थी पर बैठकर अपना नामांकन करने जाते है तो, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। क्योंकि जब लोकतंत्र का जनाजा निकल रहा है तो ऐसे में संसद में पहुंचने वाले लोग इस जनाजे पर सवार होकर नामांकन करें इसमें क्या बुराई है?
-एजेंसी
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