अग्निपथ योजना: विरोध के बीच सरकार ने भर्ती की उम्र दो साल बढ़ाई

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अग्निपथ योजना को लेकर हो रहे विरोध के बीच सरकार ने इस साल के लिए भर्ती की उम्र दो साल बढ़ाने की घोषणा की है. सरकार ने इस योजना के तहत उम्मीदवारों की अधिकतम आयु सीमा 21 साल से बढ़ाकर 23 साल कर दी है. हालांकि, ये आयु सीमा सिर्फ़ इसी साल के लिए बढ़ाई गई है.

अभी तक भर्ती के लिए 17.5 से 21 साल की आयु निर्धारित थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण दो साल से सेना में भर्ती नहीं हो पा रही थी.

ख़बर के मुताबिक़ रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ”इस तथ्य का संज्ञान लेते हुए कि पिछले दो वर्षों के दौरान भर्ती करना संभव नहीं हुआ है, सरकार ने साल 2022 के लिए एक बार आयु सीमा में छूट देने का फ़ैसला किया है. अग्निपथ योजना के तहत साल 2022 के लिए अधिकतम आयु सीमा बढ़ाकर 23 साल कर दी गई है.”
इसी हफ़्ते मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना में भर्ती की नई स्कीम अग्निपथ की घोषणा की थी.

इसके तहत 17.5 साल से लेकर 21 साल की उम्र सीमा वाले युवाओं को चार सालों के लिए सेना में काम करने का मौक़ा मिलेगा. इसके बाद 25 फ़ीसद युवाओं को रिटेन किया जाएगा. लेकिन मोदी सरकार की इस योजना का कई राज्यों में विरोध हो रहा है.

सरकार ने इस योजना से जुड़े ‘मिथक और तथ्य’ को लेकर एक आधिकारिक नोट भी जारी किया था. इस नोट के मुताबिक़ मिथक ये है कि ”21 साल के बच्चे अपरिपक्व और अविश्वसनीय” होते हैं और किसी भी समय रैंक के बीच अनुभवी लोगों की तुलना में अधिक युवा नहीं होंगे.

पहले साल में जितने भी अग्निवीर लिए जाएंगे वो सेना का केवल तीन प्रतिशत हिस्सा होंगे. रेज़िमेंटल सिस्टम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.

नोट कहता है, ”वर्तमान योजना से लंबे समय में युवाओं और अनुभवी सुपरवाइज़री रैंकों का 50-50 प्रतिशत का सही मिश्रण बनेगा.”

नोट के अनुसार ये मिथक है कि इस फ़ैसले की घोषणा से पहले पूर्व सैन्य अधिकारियों से ‘कोई परामर्श नहीं’ किया गया. इसके मुताबिक़ सेवारत सैन्य अधिकारियों से पिछले दो सालों में व्यापक स्तर पर परामर्श किया गया है.

नोट कहता है, ”ये प्रस्ताव सैन्य अधिकारियों के विभाग ने तैयार किया है और ये विभाग इसी सरकार ने बनाया है. कई पूर्व अधिकारियों ने योजना के लाभों को माना है और इसका स्वागत किया है.”

”इस तरह की अल्पकालिक भर्ती प्रणाली कई देशों में मौजूद है. इसलिए पहले से ही इसका परीक्षण किया जा चुका है और इसे युवाओं और मुस्तैद सेना के लिए बेहतरीन माना जाता है.”

नोट के अनुसार ये मिथक है कि ”अग्निवीर समाज के लिए ख़तरनाक होंगे और वो आतंकवादी बन जाएंगे.”
ये कहता है, ”यह भारतीय सशस्त्र बलों के चरित्र और मूल्यों का अपमान है. चार साल तक वर्दी पहनने वाले युवा जीवन भर देश के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे. अब भी सुरक्षा बलों से सेवानिवृत्त होने वाले हजारों कौशलयुक्त सैनिकों के राष्ट्र विरोध ताकतों में शामिल होने का कोई उदाहरण नहीं है.”

नोट के अनुसार ये दावा मिथक है कि ”अग्निवीरों का भविष्य असुरक्षित” है. तथ्य ये है कि जो उद्यमी बनना चाहते हैं उन्हें वित्तीय पैकेज और बैंक से लोन दिया जाएगा, आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिज कोर्स होंगे, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य पुलिस में वरीयता दी जाएगा. दूसरे क्षेत्रों में भी उनके लिए कई मौके खोले जाएंगे.”

नोट के मुताबिक योजना के कारण युवाओं के लिए मौक़ों की कमी नहीं होगी बल्कि उनके लिए मौक़े बढ़ेंगे. ”आने वाले सालों में अग्निवीरों की भर्तियां तीन गुनी होंगी.” ये मिथक है कि इससे रेजिमेंट के बीच होने वाला जुड़ाव प्रभावित होगा बल्कि ये और मज़बूत होगा क्योंकि सर्वश्रेष्ठ अग्निवीरों को चुना जाएगा जिससे यूनिट की एकजुटता को और बढ़ावा मिलेगा.

-एजेंसियां