रामचरित मानस की तौहीन कराने के पीछे अखिलेश यादव का हाथ: मौलाना रज़वी

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वह किसी भी धर्म की धार्मिक किताबों पर टीका टिप्पणी या आलोचना को जायज नहीं मानता. कुरान शरीफ में कहा गया है कि किसी भी धार्मिक चीज की आलोचना नहीं करनी चाहिए. इस्लाम के अनुयाई इस बात पर मुकम्मल तरीके से अमल करते हैं.

मौलाना ने कहा कि किताब रामचरित मानस करोड़ों लोगों की आस्था और अकीदत की किताब है. इसकी आलोचना करना किसी भी तरह से दुरुस्त नहीं है.

समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव अगर ये समझते हैं कि इस तरह के गलत और ऊल जलूल बयानों से उत्तर प्रदेश के मुसलमान खुश होंगे, तो ये उनकी गलतफहमी है. उनको अपनी यह गलतफहमी दिमाग से निकाल देनी चाहिए.

रामचरित मानस की तौहीन के पीछे अखिलेश का हाथ

मौलाना ने सवाल किया कि अखिलेश यादव ने अपने नेता को इस मजहबी किताब की तौहीन करने की इजाजत क्यों दी? अगर इजाजत नहीं दी है तो शनिवार को मुलाकात के दौरान दण्डित क्यों नहीं किया? हम ये समझते हैं कि इस किताब की तौहीन कराने के पीछे अखिलेश यादव का हाथ है. अगर नहीं है तो खुलकर सामने आएं और स्वामी प्रसाद मौर्य से बयान वापस लेने को कहें.

मौलाना ने आगे कहा कि हमें  अंदेशा है कि आगे चलकर भविष्य में इस्लाम की मउकद्दस किताब पर सपा नेता टीका-टिप्पणी न करने लगें. अगर ऐसी कोई सूरतेहाल पैदा होती है तो अखिलेश यादव क्या करेंगे? हमारी अखिलेश यादव से अपील है कि वो स्वामी प्रसाद मौर्य से बयान वापस लेने को कहें और देश से माफी मांगें.

Compiled: up18 News