आगरावासी नहीं समझते सफाई के प्रति अपनी जिम्मेदारी
आगरा विरासतों का शहर, लेकिन इसकी सुंदरता छिपी गंदगी से
विदेशी युवक ने आगरा में सात माह गुजार कर साझा किए अनुभव
आगरा: विश्व विरासतों का शहर आगरा एक बार फिर अपनी गंदगी को लेकर दुनिया के पटल पर बदनामी झेल रहा है।
ताजनगरी में करीब सात महीने बिताने के बाद एक विदेशी युवक ने अपने अनुभवों में इस बात का खुलासा किया है कि दुनिया के महत्वपूर्ण पर्यटन शहरों में से एक होने के बावजूद यह शहर आकर्षक क्यों नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण यह है कि यहां के लोग साफ-सफाई को अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते हैं।
विदेशी युवक ने लिखा कि भले ही आगरा में कई पर्यटक आकर्षण हैं, जैसे ताजमहल और लाल किला, एतमाददौला, सिकंदरा आदि, लेकिन यमुना नदी के किनारे ढेरों टन कचरा देखकर वह हमेशा हैरान रह जाता था। शहर भी बहुत प्रदूषित है। फुटपाथ भी नहीं हैं इसलिए रिक्शा की चपेट में आने से बचने की कोशिश में सड़क के किनारे चलना वाकई मुश्किल है।
उन्होंने महसूस किया कि आगरा एक खूबसूरत शहर है, लेकिन यहां के लोग शायद ही कभी इसकी सुंदरता को बचाने के लिए पहल करने की कोशिश करते हैं।
उन्हें लगता है कि शहर के नागरिक इस दिशा में व्यक्तिगत पहल करने को तैयार नहीं हैं।
सही मायने में आगरावासियों की मानसिकता का विदेशी युवक ने सटीक चित्रण किया। यहां के लोगों की मनःस्थिति ऐसी ही है। लोग सफाई न होने के लिए नगर निगम आदि सरकारी विभागों पर तो जमकर दोषारोपण करते रहते हैं, लेकिन खुद यहां-वहां कूड़ा-करकट फैंकते रहते हैं। किसी भी बाजार, बस्ती, कालोनी के निकट कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं। हर कोई व्यक्ति यह मानकर कि सफाई की जिम्मेदारी नगर निगम की है, चाहें जहां कूड़ा फेंक देता है।
पिछले दिनों एक विदेशी युवती सदर बाजार में पहुंची, उसी दौरान उसे चेहरा साफ करने के लिए टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करना पड़ा। आस पास कोई कूड़ेदान नही दिखने पर विदेशी युवती काफी समय तक उस टिश्यू पेपर को हाथ में ही पकड़े रही और डस्टबिन दिखाई देने पर ही उसे वहां फेंका। काश! यह समझ आगरावासियों में भी आ जाए।
साभार – संजय तिवारी (वरिष्ठ पत्रकार)
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