इंटरनेट पर फैली अश्लीलता बच्चो के मन मस्तिष्क को कर रही दूषित..

अन्तर्द्वन्द

अत्यधिक मोबाइल इस्तेमाल से बच्चों में अवसाद और निराशा तेजी

अधिक से अधिक नंबर लाइए अव्वल आइए और प्रतिस्पर्धा के बाजार में शामिल

बच्चों में नैतिकता की गिरावट साथ ही आदर्श व्यवहार की कमी

समाज और परिवारों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी

छोटे छोटे बच्चे और किशोर जिस तरह से जघन्य अपराधों में लिप्त होते जा रहे हैं वह गंभीर चिंता का विषय है! जाहिर है सोशल मीडिया इंटरनेट और इलेक्ट्रानिक गैजेट के तेजी से बढ़ते इस्तेमाल के दुष्प्रभाव हैं ये सब! यही कारण है कि बच्चों में नैतिकता की गिरावट साथ ही आदर्श व्यवहार की कमी बड़े रूप में देखी जा सकती है! देखा जाए तो इसका एक कारण पश्चिमी संस्कृति का असर भी है जिसने उपभोक्तावाद को तेजी से बढ़ाया है!

बच्चे आज जो स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं उसमें सबसे ज्यादा जोर सिर्फ इसी पर रह गया है कि कैसे भी करके अधिक से अधिक नंबर लाइए अव्वल आइए और प्रतिस्पर्धा के बाजार में शामिल हो जाइए! भले नैतिक जीवन चौपट हो जाए इसकी कोई चिंता नहीं! राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने लगातार इस बात पर जोर दिया कि हमारी शिक्षा नैतिकता से युक्त हो हम ऐसी पीढ़ी तैयार करें जो केवल अंकीय शिक्षा पर शिक्षित ना होकर वास्तविक रूप से समाज राष्ट्र विश्व के लिए तैयार हो जिसमें सेवा भाव आदर-सम्मान की भावनाएं प्रबल हों! लेकिन इन बच्चों के लिए पहली समस्या बड़े रूप में जो है वह है कि इनका मोबाइलीकरण हो जाना! अत्यधिक मोबाइल इस्तेमाल से बच्चों में अवसाद और निराशा तेजी बढी है!

बच्चे आभासी दुनिया को ही वास्तविक दुनिया समझ बैठे हैं!साथ ही इनको ई-स्पोर्ट के चलते अन्य शारीरिक बीमारियां भी देखने में मिल रही हैं! इसके अलावा इंटरनेट पर फैली अश्लीलता इनके मन मस्तिष्क को को दूषित कर रही है! इसलिए अभिभावकों को ध्यान देना होगा कि बच्चे इंटरनेट और मोबाइल का उपयोग कितना और किस मकसद से कर रहे हैं! अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो समाज के लिए यह किसी आपदा से कम नहीं होगा।

-up18news