आगरा। तस्वीरों में रोती हुई दिखाई दे रही है, यह वृद्धा अनूप शर्मा की मां है, जो अब इस दुनिया में नहीं रहा है। मृतक अनूप शर्मा को इंसाफ दिलाने के लिए यह पीड़ित मां अब छावनी परिषद अस्पताल के प्राइवेट कर्मचारियों के साथ धरना दे रही हैं।
छावनी परिषद कार्यालय परिसर में धरना दे रहे इन कर्मचारियों को पिछले 7 महीनों से वेतन नहीं मिला है। इस मां का भी आरोप है कि छावनी परिषद का अस्पताल निजी कंपनी के हाथों में है और निजी कंपनी के अधिकारियों ने उसके बेटे को कई महीनों से वेतन नहीं दिया था, जिसके चलते अनूप परेशान रहना लगा आर्थिक तंगी और परिवार की वर्तमान परिस्थितियां उसे झकझोर रही थी जिसके चलते उसने अपने जीवन को समाप्त कर लिया।
न हीं मिल रहा है वेतन और ना ही वापस हो रही सिक्योरिटी
छावनी परिषद कार्यालय परिसर में धरना दे रहे छावनी परिषद अस्पताल के प्राइवेट कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें 7 महीनों से वेतन नहीं मिला है वेतन की मांग करने पर उन्हें डराया, धमकाया जाता है और नौकरी से निकाले जाने की भी धमकी दी जाती है इतना ही नहीं वेतन ना मिलने पर कर्मचारियों ने थोड़ा सब्र कर लिया है और अपनी सिक्योरिटी की रकम वापस मांग रहे हैं लेकिन वह रकम भी नहीं मिल रही है जिसके चलते अब यह लोग आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हैं
अप्वाइंटमेंट लेटर देने पर जमा कराई थी सिक्योरिटी की रकम
छावनी परिषद कार्यालय पर धरना दे रहे लोगों ने बताया कि जब उन्हें साहब ने अस्पताल के विभिन्न पदों पर अपॉइंटमेंट लेटर दिया था उस समय उन कर्मचारियों से सिक्योरिटी की रकम भी जमा कराई थी यह रकम भी अच्छी खासी थी और उसे 6 महीने में वापस किए जाने का आश्वासन दिया था लेकिन अब 6 महीने भी भी चुके हैं 7 महीनों से वेतन नहीं मिला और अब सिक्योरिटी की रकम वापस करने की मांग हो रही है तो उस पर भी तालम टोल की स्थिति करने लगे हैं और रकम वापस नहीं कर रहे हैं।
छावनी परिषद के सीईओ ने भी नहीं की सुनवाई
छावनी परिषद कार्यालय पर धरना दे रहे प्राइवेट कर्मचारियों का आरोप है कि इस संबंध में एसएसपी डीएम से लेकर छावनी परिषद के सीईओ से भी मुलाकात कर चुके हैं सीईओ ने तो साफ इंकार कर दिया है कि वह इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते बस इस मामले की जांच करा सकते हैं अगर प्राइवेट कंपनी के अधिकारी दोषी हैं तो उन पर कार्यवाही की जाएगी।
रो-रोकर वृद्धा सुना रही है अपना दुखड़ा
इस समय प्राइवेट कर्मचारियों के साथ धरने पर बैठी वृद्धा भी रो-रो कर अपना दुखड़ा सुना रही है वृद्धा का आरोप है कि परिषद के अस्पताल के निजी कंपनी के अधिकारियों ने कई महीनों से उसके बेटे को वेतन नहीं दिया था बल्कि मानसिक रूप से उसे परेशान भी किया जा रहा था इन सभी के चलते उसने अपना जीवन समाप्त कर लिया इसके लिए अस्पताल के प्राइवेट कंपनी के अधिकारी जिम्मेदार हैं।
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