आगरा: इस बार चाँदनी रात में मोहब्बत की निशानी ताजमहल का दीदार नहीं कर सकेंगे पर्यटक

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आगरा। चांदनी रात में मोहब्बत की निशानी ताजमहल का दीदार अद्भुत रहता है। देसी – विदेशी पर्ययकों की भी यही ख्वाहिश रहती है कि वह एक बार चांदनी रात में ताजमहल का पास से दीदार कर सके। चंद्रमा की किरणों में नहाया हुआ ताज अलग ही छटा बिखेरता है, जिससे ताज में जड़े बेशकीमती पत्थर चमक उठते हैं। इसे देखकर पर्यटकों का रोमांच हजार गुना बढ़ जाता है लेकिन इस बार पर्यटकों की चांदनी रात में ताजमहल निहारने की हसरत अधूरी रह जाएगी।

रमजान माह में पहले ही ताजमहल रात 8 बजे से 11:30 बजे तक के लिए खुल रहा है। इसलिए पूर्णिमा पर पांच दिन ताजमहल का रात्रि दर्शन पर्यटकों को नहीं कराया जा सकता है। हर माह की पूर्णिमा पर पांच दिन ताजमहल के मूनलाइट दीदार के लिए एंट्री दी जाती है। पूर्णिमा से दो दिन पहले और दो दिन बाद ताजमहल का मून लाइट दर्शन कराया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेश पर एएसआई ने सन 2004 में पर्यटकों को ताजमहल के रात्रि दर्शन की शुरुआत की थी। तब ताजमहल के रात्रि दर्शन के लिए 8 स्लॉट बनाए गए थे। यानी रात 8:30 बजे से मध्यरात्रि 12:30 बजे तक, 50-50 के समूह में पर्यटकों को एंट्री दी जाती थी। यह हर माह की पूर्णिमा के दो दिन पहले और दो दिन बाद होता है, जब पर्यटक ताजमहल को रात्रि में निहार सकते हैं।

एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि इस माह 16 अप्रैल को पूर्णिमा है और रमजान माह 3 अप्रैल से शुरू हुआ है, जो तीन मई तक है। रमजान माह में ताजमहल का रात्रि दर्शन नहीं होता है। रमजान माह में परंपरा के मुताबिक, ताजमहल को रात्रि में तरावीह के लिए खोला जाता है।

उन्होंने बताया कि तरावीह में ताजमहल जाने वाले अकीकतमंदों की एंट्री की व्यवस्था पूर्वी गेट से है। पूर्वी गेट से रात आठ बजे से पहले तरावीह के लिए जाने वाले अकीकतमंदों को एंट्री दी जाती है। सबसे पहले पूर्वी गेट पर हर अकीकतमंद की रजिस्टर में एंट्री होती है। इसके बाद ही ताजमहल में प्रवेश कराया जाता है।