Agra News: एसटीएफ ने हथियारों के लाइसेंस बनवाने में जालसाजी का किया खुलासा, रिटायर बाबू समेत सात के खिलाफ मुकदमा दर्ज

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आगरा: एक सनसनीखेज मामले में स्पेशल टास्क फोर्स में एसटीएफ ने हथियारों के लाइसेंस बनवाने में जालसाजी का खुलासा करते हुए जिला कलेक्ट्रेट के एक सेवानिवृत बाबू समेत सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

आगरा एसटीएफ यूनिट टीम ने हथियारों का बड़ा घोटाला पकड़ा है। फर्जी सूचना देकर शस्त्र लाइसेंस बनवाने और कहीं से भी हथियार लेकर लाइसेंस पर चढ़वाने के मामले में डीजीपी के आदेश पर नाई की मंडी थाने में सात लोगों मुकदमा दर्ज हुआ है। सात लोगों में सेवानिवृत्त असलहा बाबू, एक मीडिया कर्मी भी शामिल है।

नाई की मंडी थाने में यह जो मुकदमा दर्ज हुआ है इसकी पहले एसटीएफ के इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा ने कई महीने तक जांच की थी। जांच के बाद अपनी रिपोर्ट डीजीपी के पास भेजी। इसके बाद धोखाधड़ी और आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है।

मुकदमे में मोहम्मद जैद, नेशनल शूटर मोहम्मद अरशद, राजेश कुमार बघेल, भूपेंद्र, शोभित चतुर्वेदी और सेवानिवृत्त असलहा बाबू संजय कपूर नामजद हैं। आरोप है कि आरोपियों ने जांच के दौरान सहयोग नहीं किया। कागजात मुहैया नहीं कराए। इंस्पेक्टर एसटीएफ ने अपनी जांच में यह आशंका जाहिर की कि यह मामला अवैध हथियारों की खरीद फरोख्त का है।

हथियारों की तस्करी और कारतूस घोटाले के लिए शूटिंग खिलाड़ी बनाए जाते हैं। मुकदमे में सभी आरोपियों पर अलग-अलग आरोप हैं।

चर्चित मोहम्मद जैद पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2003 में शस्त्र लाइसेंस बनवाया। शपथ पत्र में अपनी जन्मतिथि 1975 दर्शायी। जबकि अन्य प्रमाणपत्रों में उनकी जन्मतिथि 1972 है। नेशनल शूटर अरशद खान के पास पांच लाइसेंस हैं। उन पर आरोप है कि प्रपत्रों में कम उम्र दर्शाकर खुद को कुशल निशानेबाज दर्शाना था। ताकि आराम से शस्त्र लाइसेंस बन सकें। उन पर आरोप है कि उन्होंने सभी शस्त्रों की खरीद से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए।

राजेश कुमार बघेल पर आरोप है कि उनके लाइसेंस से संबंधित पत्रावली ही नहीं मिली। उसी लाइसेंस पर शस्त्र क्रय करके चढ़वाया गया। जो शस्त्र लाइसेंस पर चढ़ा है उसकी खरीद से संबंधित कोई कागजात मुहैया नहीं कराया गया। उनके शस्त्र लाइसेंस बनवाने और गुम होने की जांच के दौरान शस्त्र क्रेता शोभित चतुर्वेदी का नाम प्रकाश में आया।

शोभित चतुर्वेदी पर एक और आरोप है। उन्होंने फर्जी शपथपत्र दिया। उनके पास टिहरी उत्तराखंड से जारी एक लाइसेंस था। यह बात उन्होंने दूसरा लाइसेंस बनवाने के दौरान छिपाई। जन्म का मूल स्थान लखनऊ के बजाए आगरा दर्शाया। शोभित चतुर्वेदी द्वारा बरैठा की पिस्टल शिव कुमार सारस्वत से बिना किसी प्रपत्र के क्रय की। जांच के दौरान दस्तावेज नहीं दिखाए।

भूपेंद्र सारस्वत पर आरोप है कि वह 21 साल के नहीं थे इसके बावजूद शस्त्र लाइसेंस था। उक्त लाइसेंस वर्ष 2016-2017 में गुम होना बताया। आरोपित ने थाने में दर्ज गुमशुदगी के कागज नहीं दिए। पहले लाइसेंस की छायाप्रति तक उपलब्ध नहीं कराई।

पूरी जांच में असलहा बाबू संजय कपूर को भी आरोपित पाया गया। वह स्वैच्छित सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। उन पर कूट रचना, तथ्यों को छिपाना, असत्य शपथ पत्र प्रेषित करने का आरोप है।

विशाल भारद्वाज ने मुख्यमंत्री से की थी शिकायत, जांच में खुले कई राज

विशाल भारद्वाज पहले भूपेंद्र के यहां काम करता था। पांच लाख का लेन-देन था। आरोप है कि उसके खिलाफ मुकदमे लिखाए गए। उसे पुलिस से धमकी दिलवाई गई। विशाल भारद्वाज इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में पहुंचा। उनसे शिकायत की। मुख्यमंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसटीएफ को जांच सौंपी।

इंस्पेक्टर ने अपनी जांच में पाया कि मुकदमे में नामजद आरोपियों के शस्त्र लाइसेंस एक-एक बार जरूरी खोए हैं। पुराना लाइसेंस खो जाने के बाद नया बनता है। नए लाइसेंस में इस बात का उल्लेख नहीं किया जाता कि कितने कारतूस इश्यू कराए गए थे। पुराने लाइसेंस पर कौन सा हथियार चढ़ा था। जांच में उन्होंने पाया कि प्रत्येक आरोपित का एक बार लाइसेंस जरूर खोया है। किसी के पास उसकी गुमशुदगी नहीं थी। इतना ही नहीं हथियार किस दुकान से खरीदा। कब खरीदा। कितने का खरीदा। इसके प्रमाण नहीं हैं। इसके बाद पूरी पोल खुली। मुकदमा दर्ज होने के बाद खलबली मच गई है।

-साभार सहित