Agra News: जी-20 को लेकर बार्ममिक्स तकनीक से वैज्ञानिक तैयार करा रहे है सड़क, तीन साल तक कुछ नहीं बिगडे़गा

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आगरा: जी-20 की आगरा में होने वाली समिट और जी-20 में आनेवाले मेहमानों की तिथि घोषित हो चुकी है। उनके आगमन और उनके स्वागत के लिए जिला प्रशासन दिनरात जुटा हुआ है। लेकिन जिस वीआईपी रूट से मेहमान आने वाले है उस रूट पर सड़के जबाब दे चुकी है। उन सड़को को जीर्णोद्धार की जरूरत है लेकिन आगरा की गलन भरी सर्दी जबाब दे चुकी है। लगातार नीचे गिर रहे पारे के चलते डीबीएम से सड़क निर्माण नही हो पा रहा था। इसलिए केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान दिल्ली की वैज्ञानिकों की देखरेख में सड़के बनाई जा रही है।

क्या है बार्ममिक्स तकनीक:-

जानकारी के मुताबिक ठंडे इलाकों में सड़क बनाने के लिए बार्ममिक्स तकनीक का प्रयोग किया जाता है। अभी तक ये तकनीक ठंडे इलाके में बॉडर्र रोड ऑर्गनाइजेशन इस्तेमाल कर रही है। इसमें बिटुमिन में ईवोथर्म नाम का केमिकल मिलाया जाता है। कम तापमान पर ये बिटुमिन को आपस में जोड़े रखने में मदद करता है। इस तकनीक से जीरो डिग्री में भी सड़क बनाई जा सकती है।

मेट्रो ने हाथ खड़े किये तो पीडब्ल्यूडी ने सीआरआरआई से मांगी मदद:-

आगरा में जी-20 डेलिगेशन के आगमन को देखते हुए सड़को का निर्माण तेजी के साथ किया जा रहा है। फतेहाबाद रोड स्थित सेल्फी पॉइंट से होटल हॉवर्ड पार्क प्लाजा तक कि सड़क की दुर्दशा हो रखी थी। प्रशासन ने इस सड़क को बनाने के लिए मेट्रो को कहा तो मेट्रो अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिये। फिर इसकी जिम्मेदारी पीडबल्यूडी के कंधों पर आ गयी। एक तरफ जी-20 के मेहमानों के तारीख नजदीक आ रही थी और लगातार गिरता टेम्परेचर पीडबल्यूडी विभाग के लिए सिरदर्द बन गया। ऐसे में पीडबल्यूडी विभाग ने केंद्रीय सड़क अनुसंधन संस्थान दिल्ली से सहयोग मांगा।

CRRI के विशेषज्ञों की देखरेख में बन रही है सड़क:-

आगरा में जी-20 डेलिगेशन के आगमन को देखते हुए सड़क को केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान दिल्ली के वैज्ञानिकों की देखरेख में बनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में पहली बार बार्ममिक्स तकनीक से सड़क बनाई जा रही है। फतेहाबाद रोड पर सेल्फी प्वाइंट से होटल हावर्ड पार्क प्लाजा तक की करीब 2.6 किलोमीटर सड़क निर्माण का काम होना है। मेट्रो कार्य के कारण ये सड़क पूरी तरह से उखड़ चुकी है। इस सड़क को बनाने के लिए मेट्रो ने हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में पीडब्ल्यूडी पर जिम्मेदारी आ गई थी। CRRI के वैज्ञानिक खुद सड़क की गुडवत्ता देख रहे है और सड़क निर्माण पर निगाहें बनाये हुए है।

तीन साल तक कुछ नहीं बिगडे़गा:-

​​​​​​CRRI की अंबिका ने बताया कि इस तकनीक से बनने वाली रोड की लाइफ आम रोड़ की तुलना में काफी अधिक होती है। ठंडे इलाकों में अभी तक इस तकनीक पर बनी सड़कों पर हुए रिसर्च से पता चला कि वो सड़कें तीन साल तक चली हैं। इसके अलावा इस तकनीक से 160 डिग्री की बजाए 120 डिग्री सेल्सियस पर बिटुमिन तैयार किया जाता है। ऐसे में पर्यावरण में कम कार्बन का उत्सर्जन हो रहा है और डीजल की खपत भी कम हो रही है।