Agra News: एक बेटा आईएएस, दूसरा व्यापारी, फिर भी पिता रोते हुए पहुंचे वृद्धाश्रम

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आगरा: यहां सिकंदरा क्षेत्र में स्थित रामलाल वृद्धाश्रम में पहुंचे बूढ़े पिता का दर्द सुनकर हर कोई हैरत में पड़ गया। एक बेटा आईएएस है, दूसरा बड़ा व्यापारी है लेकिन पिता के साथ नौकरों जैसा व्यवहार हो रहा था। हर रोज अपमान सहते पिता का दिल अंदर से टूट गया और वह परिवार छोड़कर वृद्धाश्रम रहने पहुंच गए।

बल्केश्वर निवासी एक बुजुर्ग पिता शनिवार की दोपहर वृद्धाश्रम में दाखिल हुए। कुछ पल के लिए लोगों को लगा कि वह वृद्धाश्रम में या तो किसी परिचित से मिलने आए हैं या फिर आश्रम कुछ आर्थिक मदद देने आए हैं। दरअसल उनकी वेशभूषा कुछ ऐसी थी कि किसी को महसूस नहीं हुआ कि वह अंदर टूटे हुए और दुःखी व्यक्ति हैं और आश्रम में आसरा तलाशने आए हैं। उनसे जब आश्रम में आने का करण पूछा गया तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। कुछ कहने से पहले गला रुंध गया और कुछ पल तक तो वह कुछ बोल ही नहीं पाए। लोग समझ गए कि वह काफी व्यथित हैं और पीड़ा व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं। उनको पानी दिया गया और फिर बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। उन्होंने आपबीती बताई तो वहां मौजूद लोग अचंभित हो उठे।

बुजुर्ग ने अपना नाम बताया और कहा कि वह बल्केश्वर में रहते हैं। उनकी अवस्था करीब 78 वर्ष की है। अपने बच्चों की परवरिश में पूरा जीवन लगा दिया। एक बेटा आईएएस है, वह दूसरे राज्य में तैनात है। दूसरा बेटा बड़ा व्यापारी है, जबकि वह खुद बैंक से रिटायर्ड हैं। उनकी एक बेटी भी है। उनके पास करोड़ों रुपये की कोठी है। सबकुछ होने के बाद भी परिवार में वह नौकरों जैसा बर्ताव झेल रहे थे। घर में कोई सम्मान से बात नहीं करता। सब अपनी-अपनी दुनिया में जी रहे हैं।

उन्होंने बताया कि छोटा बेटा लाखों रुपये लेकर अलग हो गया और अब कमलानगर में रहता है। रुपये लेने के बाद बातचीत बंद कर दी। बड़ा बेटा आईएएस है और खुद बात नहीं करता है। बेटों के व्यवहार ने दिल तोड़ दिया। पत्नी के पास भी उनसे बात करने के लिए समय नहीं था, वह मोबाइल में ही समय बर्बाद करती रहती है। जब रोकता-टोकता हूं तो अपमान कर देती है। परिवार का यह व्यवहार सह नहीं पा रहे थे, इसलिए वृद्धाश्रम में रहने पहुंच गए।

वृद्धाश्रम के संचालक शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि बुजुर्ग ने अपना आवेदन पत्र भरकर दे दिया है। उन्होंने दोनों बेटों और अपनी पत्नी पर आए दिन अपमानित करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि करोड़ों रुपये की कोठी में अपने परिवार के लोगों के का अभद्र व्यवहार सहते हुए जीवन जीना कठिन हो गया था। समय पर खाना तक नहीं मिलता था। उन्होंने सेंट्रल बैंक में मैनेजर पद से वीआरएस लिया था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसे दिन भी देखने पड़ेंगे।

बता दें कि आश्रम में इस समय 330 बुजुर्ग माता-पिता रह रहे हैं। आश्रम में करीब 150 माताएं और 180 पिता हैं। आश्रम में आए अधिकतर माता-पिता बेटे और बहुओं के सताए हुए हैं।