उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लगाए जा रहे हैं शिविर
जनपद में तीन माह में एक्स रे के जरिये 460 नये मरीज खोजे गये
आगरा: देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा हैं । इसी क्रम में जनपद में टीबी उन्मूलन के लिए नये टीबी रोगियों को खोज कर उन्हें इलाज व सरकारी सुविधाओं से जोड़ने पर विशेष जोर है। विभाग द्वारा उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कैम्प लगा कर नये टीबी मरीज खोजे जा रहे हैं।
इन कैम्प में पोर्टेबेल एक्स रे मशीन से मौके पर ही टीबी जांच की सुविधा मिल रही है, साथ ही बलगम से भी जांच कराई जा रही है। इस तरह 16 मार्च से 31 मई 2024 तक पोर्टेबल एक्स रे मशीन के जरिये 460 नये टीबी रोगी नये टीबी मरीज खोजे गये हैं। सभी नये टीबी मरीज का उपचार शुरू कर दिया गया है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि सी नाइंटिन टीम की मदद से कैम्प लगा कर नये टीबी मरीज खोजे जा रहे हैं। कैम्प के लिए पहले से योजना तैयार कर ली जाती है और खासतौर से उच्च जोखिम क्षेत्रों में कैम्प लगाए जाते हैं। नये टीबी मरीज खोज कर समय से इलाज कर देने से इसके संक्रमण का चेन टूटता है। लक्षण दिखने पर लोग अपने ब्लॉक में लगने वाले कैम्प में पहुंच कर टीबी जांच करवा सकते हैं। डीटीओ ने बताया कि जनपद में 16 मार्च से 31 मई के बीच विभिन्न स्थानों पर 92 कैंप लगाए गए।
इन कैंप में 9115 संभावित टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग की गयी । सभी संभावित मरीजों की जांच पोर्टेबल एक्स रे मशीन से की गयी। इसके बाद 3069 मरीजों का बलगम कलेक्ट कर जांच के लिए भेजा गया, जिसमें 460 मरीजों में टीवी की पुष्टि हुई।सभी नये टीबी मरीज का उपचार शुरू कर दिया गया है।
फतेहपुर सीकरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक सीमा ने बताया कि कैम्प के माध्यम से नये टीबी मरीजों को खोजना आसान हो रहा है। उनके यहां फतेहपुर सीकरी के उच्च जोखिम वाले ग्राम दूरा, मंडी मिर्जा खां और पतसाल में आयुष्मान आरोग्य मंदिर, जूनियर हाई स्कूल दूरा और स्थानीय प्राइवेट स्कूल पर कैम्प लगाया गया तो टीबी के 24 नये मरीज खोजे जा सके । जिसमें 19 लोगों में एक्स रे के जरिये टीबी की पुष्टि हुई और 05 लोगों में बलगम जांच के जरिये टीबी का पता चला । इस कार्य में सीएचओ राकेश कुमार, अंकुश कुमार, मोहित और सी नाइंटिन टीम के लीड मोहित प्रधान का सहयोग रहा ।
नये टीबी मरीजों को मिलती है यह सुविधा
– सरकारी प्रावधानों के अनुसार जांच व इलाज
– निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज चलने तक खाते में 500 रुपये प्रति माह की दर से
– निकट सम्पर्कियों की टीबी जांच और बचाव की दवा का सेवन
– टीबी की सीबीनॉट जांच। साथ में मधुमेह और एचआईवी की जांच
– सम्पूर्ण दवा और परामर्श
यह लक्षण दिखे तो कराएं जांच
– अगर दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी,
– सीने में दर्द, बलगम में खून आना
– शाम को पसीने के साथ बुखार
– भूख न लगना
– तेजी से वजन गिरने जैसे लक्षण हो तो जांच अवश्य करवाना चाहिए
फतेहपुर सीकरी के ग्राम दूरा निवासी 35 वर्षीय सोनाली (बदला हुआ नाम ) बताती है कि मेरे पति पत्थर का काम करते हैं इसी कारण मेरे पति को फेफड़े वाली टीबी हो गई थी, जांच और उपचार के बाद थोड़ा आराम मिला तो वह फिर काम करने उदयपुर चले गए इसलिए बीच में दवाई छूट गई जब ज्यादा तबीयत खराब हुई तो दोबारा जांच कराई, जांच के उपरांत पता चला कि मेरे पति को एमडीआर टीबी हो गया है और एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। इस प्रक्रिया में मैं अपने पति के साथ थी। इसी दौरान मुझे तेज बुखार ,कमजोरी, भूख न लगना, मुंह सूखना, सीने में दर्द और जलन जैसे लक्षण लगे। मुझे पहले भी टीबी हो चुका है इसलिए मैंने तुरंत सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर से बात की तो उन्होंने मुझे ग्राम दूरा में आयोजित कैंप में जांच करने की सलाह दी ।
फतेहपुर सीकरी के ग्राम दूरा निवासी 38 वर्षीय एमडीआर पेशेंट लाल सिंह (बदला हुआ नाम ) बताते हैं कि उपचार के दौरान नियमित दवा का सेवन करना चाहिए बीच में दवा किसी भी कारण से नहीं छोड़नी चाहिए जरा सी लापरवाही के कारण मुझे एमडीआर टीबी हो गई हैं, अब मेरा उपचार 18 महीने चलेगा । उन्होंने बताया ग्राम देवरा में सभी लोग पत्थर का काम करते हैं जिसकी वजह से ज्यादातर लोगों में फेफड़ों वाली टीबी की पुष्टि होती है । इस गांव में लगभग 70% लोग टीबी की बीमारी से पीड़ित है। सभी को अपनी टीबी की जांच करानी चाहिए साथ ही बचाव के साधनों को जरूर इस्तेमाल करें। मास्क जरूर लगाए जिस किसी दूसरे को यह बीमारी ना हो।
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