Agra News: यमुना की खादर को डकार रहे भ्रष्टाचारी, जनप्रतिनिधि से लेकर जिम्मेदार विभाग के अधिकारी काट रहे चांदी

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नगर निगम, एडीए, नुजूल विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिला प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा बड़ा घोटाला
आगरा। भ्रष्टाचारी चाहें मुसलमान हो या हिन्दु या किसी अन्य धर्म का वह सिर्फ भ्रष्टाचारी ही होता है। कानून व संविधान में हर धर्म के भ्रष्टाचारी को एक समान ही सजा का प्रावधान है। वहीं जब हमारे जनता से चुने गये जनप्रतिनिधि व जिम्मेदार विभागों के अधिकारी भष्टाचारियों को अलग-अलग चश्में से देखते हैं धर्म व जात में बांट अपनी जिम्मेदारी निभाते हों तो उस देश में भ्रष्टाचार सिर्फ नासूर बनकर रह जाता है।

देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री या तमाम केन्द्र व प्रदेश के मंत्री भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए चाहें जितने भाषण दें तथा कानून बनायें लेकिन देश में नासूर बन चुके भ्रष्टाचार को तमाम अंगों के काटने पर भी जड़ से मिटाना टेड़ी खीर है। जब तक जनप्रतिनिधि व जिम्मेदार विभागों के अधिकारी हर तरह के भ्रष्टाचारी को धर्म व जात छोड़ एक समान देखाना शुरू नहीं करेंगे तबतक भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों के साम्रराज्य को खत्म करना मुगेंरी लाल के हसीन सपने जेसा ही नजर आता है।

हमारे देश में पीएम से लेकर सीएम तथा साधुसंत लगातार सनात्न हिन्दु धर्म की पैरवी करते जरूर नजर आते हैं लेकिन इसकी जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। देश में हिन्दु सनातन धर्म की मां यमुना व गंगा हैं। इनकी कोख से जीव – जन्तु व पेड़ पौधों ने जन्म लिया है। इंसान ने जब अपने जीवन को पहचाना तो सबसे पहले यमुना व गंगा तथा वृक्षों व प्रकृति से जुड़े सूर्य तथा चंद्र की पूजा शुरू की थी। आज जब हम 21 वीं सदी में विश्व गुरू बनने की बात करते हैं और इंसान तथा प्रकृति की जीवन दायनी गंगा व यमुना की दायनीय स्थिति पर चुप्पी साध जाते हैं तथा उन्हें लगातार दफन होते देखकर भी कुछ नहीं कर पाते तो सभी बड़ी बाते बेमानी नजर आती हैं। खैर आज हमारे ताजनगरी व ब्रज की जीवन दायनी कृष्ण प्यारी कालिन्दी लगातार दम तोड़ रही है। यमुना मईया की इस दायनीय स्थिति पर यूं तो हजारों पन्नों की किताब लिखी जा सकती है लेकिन किताबें लिखने दम तोड़ती यमुना को नहीं बचाया जा सकता।

यमुना को बचाने के लिए सरकार व शासन तथा प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को बड़े एक्शन लेने की जरूरत है। इन सभी की लापरवाही का नतीजा हैं कि भूमाफिया व भ्रष्टाचारी कालेधन वाले लगातार यमुना की खादर को सभी नियम व कानून ताक पर रख डकार रहे हैं। यमुना की खादर को लगातार वर्ष 1980 से जिम्मेदार विभाग तथा जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार के चलते निगला जा रहा है।

ताजनगरी में यमुना को बचाने कार्य वर्ष 1978 के बाद से शुरू हुआ जिसमें ताजगंज लालकिला से लेकर रूनकता तक प्रथम चरण में यमुना किनारा कारिडोर का निर्माण शुरू किया गया। यमुना किनारे से 200 मीटर तक पार्क व हरियाली का प्रावधान था तथा 300 मीटर में रिंग रोड सड़क निर्माण का प्रावधान था। इस योजना पर पूर्व सरकार ने कार्य भी शुरू किया। इस कार्य में कांग्रेस नेता संजय गांधी का बहुत बड़ा योगदान था। यमुना किनारा रिवर फ्रंट का निर्माण होने से पूर्व वर्ष 1978 में किसानों को दी गई लाल किले से लेकर रूनकता तक यमुना किनारे की 500 मीटर नुजूल विभाग की भूमि का सरकार ने अधिग्रहण भी किया जिसका किसानों को मुआवजा भी दिया जा चुका है।

यमुना किनारा रिवर फ्रंट का निर्माण लाल किला ताजगंज से लेकर जीवनी मंडी लाल घाट तक पूरा भी हुआ लेकिन कांग्रेस नेता संजय गांधी की मौत के बाद से यह कार्य आजतक आगे नहीं बढ़ा। इसके लिए सरकारों तथा शासन व प्रशासन की जबावदेही बनती है। वहीं हैरत की बात यह है कि यमुना किनारा रिवर फ्रंट के लिए पूर्व सरकार द्वारा अधिग्रहण की गई भूमि यमुना की इस खादर को खरीदने व बेचेने के साथ कॉलोनी व मकानों का निर्माण होता रहा तथा बिना आवादी क्षेत्र घोषित हुए इस क्षेत्र में आबादी होती रही तथा इन सब पर जिम्मेदार विभाग चुप्पी साधे रहे। इस मामले में न तो नुजूल विभाग न जिला प्रशासन न नगर निगम न प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और न ही एडीए ने कभी किसी प्रकार के नोटिश जारी किए न किसी प्रकार की कार्यवाही की। इन सभी जिम्मेदार विभागों से भ्रष्टाचार के चलते अवैध निर्माणों के लिए एनओसी भी जारी की गई।

वहीं दूसरी ओर इस प्रतिबंधित भूमि की वर्षो से रजिस्ट्री विभाग द्वारा रजिस्ट्रीयां भी की जा रही है जो वर्तमान में भी जारी है। इस समय वर्तमान में गोशाला को दान की गयी मुगलकालिन बाग यमुना की खादर वाली भूमि राधा नगर नई आवादी बल्केश्वर सहित अनुराग नगर, मनोहर पुर, बाहदुरपुर में दर्जनों बड़े निर्माण कार्य चल रहे हैं।

भूमाफिया व भ्रष्टाचारी चुनाव के समय प्रशासन व पुलिस की व्यस्तता का फायदा उठाते हुए अवैध निर्माण को जल्द पूरा कराने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं। सरकार व जिम्मेदार विभागों द्वारा इन मामलों को जारा भी गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा। यमुना किनारे खादर की गैर आवादी वाले आवसीय क्षेत्र में तमाम कारखाने ऐसे चल रहे हैं जिनसे निकलने वाला जहरीला कैमिकल्स व आवदी का मलमूत्र सीधे यमुना में प्रवाहित हो रहा है। इस मामले में प्रदेश की योगी सरकार भी गम्भीर नजर नहीं आती।

-मनीष भारद्वाज (लेखक वरिष्ठ पत्रकार व स्वतंत्र लेखक हैं)