आगरा: स्कूल में अभिभावकों के साथ गए बच्चों को दाखिला देने से इंकार कर दिया गया। उनको दुत्कार कर गेट बंद कर दिया गया। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस के हस्तक्षेप पर दस बच्चों को स्कूल में बुलाकर, कुर्सी पर बिठाया गया और उन्हें दाखिला दिया गया। दाखिला पाकर बच्चे और अभिभावक बहुत खुश हुए।
चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस झुग्गी झोपड़ी, वंचित समुदाय तथा मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों में शिक्षा की अलग जगा रहे हैं। दो दिन पूर्व वजीरपुरा बस्ती में नरेश पारस ने बच्चे तथा उनके अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया। उनमें से दस बच्चे अपने अभिभावकों के साथ मंडी सईद खां स्थित कंपोजिट विद्यालय में दाखिला लेने गए। स्कूल में उन्हें यह कहकर दाखिले से इंकार कर दिया गया कि विद्यालय में बच्चों की संख्या पूरी हो चुकी है। अब बच्चों को दाखिला नहीं दिया जाएगा। उन्हें स्कूल से बाहर निकालकर और गेट बंद कर दिया गया बच्चे और अभिभावक घंटों गेट के बाहर खड़े रहे। उन्होंने यह जानकारी नरेश पारस को दी।
नरेश पारस द्वारा मामला वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया तथा दाखिला दिलाने के लिए खुद पहुंच गए। खंड शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र शर्मा से बात करके वस्तु स्थिति से अवगत कराया। खंड शिक्षा अधिकारी ने विद्यालय प्रधानाचार्य शिवकुमार शर्मा को दाखिला देने के आदेश दिए। इसके बाद बच्चों को स्कूल में अंदर बुलाया गया। उन्हें कुर्सी पर बैठाया। पानी पिलाया। दस बच्चों को स्कूल में दाखिला दे दिया गया। अभिभावक अशिक्षित हैं। मजदूरी एवं फेरी लगाकर किसी तरह परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। शिक्षा के प्रति जागरूकता ना होने के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। स्कूल में दाखिला मिलने पर बच्चे और अभिभावक बहुत खुश हुए।
अभिभावकों ने कहा कि वह अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देंगे। उन्हें खुद स्कूल छोड़ने और लेने भी जाएंगे। नरेश पारस ने शिक्षा विभाग से अपील की है कि झुग्गी झोपड़ी, मलिन बस्तियों तथा वंचित समुदाय मैं सघन सर्वे कराकर ऐसे बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया जाए।
नरेश पारस पूर्व में भी ऐसे 204 बच्चों का सर्वे करके शिक्षा विभाग को रिपोर्ट देकर बच्चों का स्कूल में दाखिला कराने का अनुरोध कर चुके हैं। वह ऐसे बच्चों को लगातार शिक्षा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।