आगरा: जनपद में रविवार को पोलियो प्रतिरक्षण अभियान का शुभारंभ हो गया। इस अवसर पर जीवनी मंडी क्षेत्र में जागरूकता रैली निकाली गई और मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा फीता काटकर पल्स पोलियो बूथ का शुभारंभ किया गया |इसी क्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जीवनी मंडी, नगला जार ब्लॉक खंदौली और पिनाहट सीएचसी पर पूर्व मंत्री राजा महेंद्र अरिदमन सिंह भदावर द्वारा बच्चों को पल्स पोलियो की खुराक पिलाकर अभियान का शुभारंभ किया | 2680 बूथों पर शून्य से पांच साल के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई गई ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आज सर्वप्रथम पल्स पोलियो अभियान के तहत जन जागरूकता रैली का आयोजन किया गया l बच्चों ने नारे लगाकर आम जनमानस को पोलियो खुराक से अपने बच्चे को आच्छादित कराने के लिए जागरूक किया l
सीएमओ ने बताया दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 27 मार्च 2014 को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया है लेकिन देश में पोलियो के आयात का खतरा अब भी है । पोलियो वायरस से बचाव के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है क्योंकि वर्ष 2021 में अफगानिस्तान में 4 केस और पाकिस्तान में 1 केस था l लेकिन वर्ष 2022 में 9 फरवरी तक अफगानिस्तान में एक केस है| ऐसे में पोलियो से सुरक्षा का एक ही उपाय है कि शून्य से पांच साल के बच्चों को पोलियो का ड्रॉप अवश्य पिलाएं ।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि जिले भर में पोलियो प्रतिरक्षण अभियान में लगभग 7.58 लाख बच्चों को पोलियो की दवा पिलाये जाने का लक्ष्य है। इसके लिए जनपद में अभियान के पहले दिन 2680 बूथों पर पोलियो की दवाई पिलाई गई। डीआईओ ने बताया कि सोमवार से पांच दिन तक 1724 टीमें घर-घर जाकर भ्रमण करेंगी और बच्चों को पोलियो की दवाई पिलाएंगी
डीआईओ ने बताया कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों में पोलियो के वायरस मौजूद हैं । इजरायल में वर्ष 1989 के बाद वर्ष 2022 में फिर से पोलियो के केस मिले हैं । ऐसे में पोलियो का वैश्विक खतरा पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है । यही वजह है कि भारत सरकार की तरफ से पल्स पोलियो का ड्रॉप निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है । पल्स पोलियो का ड्रॉप जन्म के समय ही दिया जाता है। इसके अलावा छह, दस और चौदह सप्ताह पर भी यह ड्रॉप पिलाया जाता है । इसकी बूस्टर खुराक सोलह से चौबीस महीने की आयु में भी दी जाती है
डॉ. वर्मन ने बताया कि वर्ष 1998 के बाद पोलियो के मामलों में वैश्विक स्तर पर 99.9 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है, लेकिन जब तक विश्व के किसी भी देश में इसका वायरस बचा हुआ है, सभी देशों को सतर्क रहना होगा । पोलियो एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है जो पांच साल से कम आयु के बच्चों को प्रभावित करता है। यह मल, मौखिम मार्ग, दूषित पानी, आहार आदि के माध्यम से फैलता है। यह आंत में पनपता है और वहां से तंत्रिका तंत्र में पहुंच कर पक्षाघात उत्पन्न करता है.
पोलियो के प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन की अकड़न और अंगों में दर्द है। भारत सरकार के नेशनल हेल्थ पोर्टल पर 23 अक्टूबर 2018 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक दो सौ संक्रमणों में से एक संक्रमण अपरिवर्तनीय पक्षाघात (आमतौर पर पैरों में) में बदल जाता है।
कुल लक्षित बच्चे -7.58 लाख
कुल बूथ-2680
गृह भ्रमण टीम-1724
इस अवसर पर जीवनी मंडी की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघना शर्मा, विश्व स्वास्थ्य संगठन के एसएमओ बीएस चंदेल, खंदौली में, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रभात राजपूत, बीपीएम, डीपीएम कुलदीप भारद्वाज, यूनिसेफ की बीएमसी सपना उपाध्याय उपस्थित रहे |
-up18 News
Discover more from Up18 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.