आगरा: यूक्रेन-रूस के बीच छिड़े घमासान के बाद यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का अपने वतन भारत लौटना शुरू हो गया है। गुरुवार को राजपुर चुंगी क्षेत्र के मारुति फॉरेस्ट निवासी आदित्य जादौन की घर वापसी हो गई है। गुरुवार सुबह जैसे ही आदित्य घर पहुँचा तो उनकी मां ने आदित्य की आरती उतारी और फिर घर में प्रवेश कराया। आदित्य के वापस लौटने पर परिजनों ने उन्हें बाहों में भर लिया और फिर परिजनों के आंखों से खुशी के आँसू छलक आये। इस दौरान आदित्य ने उक्रेन में अपना आंखों देखा हाल भी बयां किया।
अपने घर वापस लौटे आदित्य ने बताया कि वह दिसंबर में ही एमबीबीएस के लिए यूक्रेन गए थे। उनका विनीता यूनिवर्सिटी में एडमिशन हुआ था और उनका यह पहला ही साल था लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होने से उनकी एमबीबीएस की शिक्षा भी डिस्टर्ब हो गई है। वहां एमबीबीएस पढ़ने वाले सभी भारतीय छात्रों को वतन वापसी करनी पड़ रही है। रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के कारण स्थिति काफी बिगड़ गई है।
आदित्य ने बताया कि लगातार वहाँ बमबारी हो रही है। विन्नित्सा में वो रह रहे थे। वहां भी दो बम आकर गिरे लेकिन उनका हॉस्टल और यूनिवर्सिटी बच गए थे। तभी यूक्रेन सरकार की ओर से सभी को आदेशित कर दिया गया कि सायरन बजते ही सभी को बंकरों में जाकर छिप जाना है। आदित्य ने बताया कि जैसे ही कोई समस्या सामने आती थी, यूक्रेन में पहले सायरन का मतलब हमला होने वाला है, दूसरे सायरन का मतलब आप अपनी तैयारी कर लो और तीसरे सायरन का मतलब होता था कि तुरंत बंद कर में जाकर छुप जाओ।
आदित्य जादौन ने बताया कि यूक्रेन में इस समय तापमान माइनस में चल रहा है। वहां बर्फ गिर रही है ऐसे में उन्हें रोमानिया तक पैदल ही जाना पड़ा। यूक्रेन में भारतीय छात्रों को एक बस से निकाला गया और रोमानिया की बॉर्डर से 15 किलोमीटर ही उन्हें छोड़ दिया गया था, वहां से उन्हें रोमानिया तक पैदल ही जाना पड़ा।
आदित्य ने बताया कि सबसे ज्यादा दिक्कत उन्हें यूके बॉर्डर से रोमानिया में जाने के दौरान हुई। यूक्रेन पुलिस के लोग सबसे पहले उक्रेन वासियों को ही रोमानिया के लिए भेज रहे थे फिर उसके बाद में भारतीय लोगों का नंबर आ रहा था। अगर यूक्रेन बॉर्डर पर इंडियन एंबेसी का कोई अधिकारी होता तो भारतीय छात्रों और लोगों को पहले निकाला जा सकता था।
बेटे के घर पहुँचने पर आई जान
बेटे को सुरक्षित घर पाकर उनके माता पिता ने राहत की सांस ली है। उनका कहना है कि हालात बिगड़ते देख उनकी भूख प्यास सब खत्म हो गई थी। दिन भर सिर्फ बेटे की सुरक्षा की चिंता सताती थी। लेकिन अब वह घर आ गया है तो अब उन्हें राहत मिली है। वह कामना करते हैं कि सभी फंसे विद्यार्थी जल्द से जल्द भारत अपने घर लौटे। बेटे ने घर लौटने के बाद ऋषभ के माता-पिता ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया है।